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बुधवार, 22 अगस्त 2012

कोलकाता का दक्षिणेश्वर मंदिर --- सम्पत देवी मुरारका


कोलकाता का दक्षिणेश्वर मंदिर
-- सम्पत देवी मुरारका
दक्षिणेश्वर में माँ काली के मंदिर का दर्शन करके |
भाग्य सराहा मैंने अपना माता का वन्दन करके ||
रामकृष्ण को माँ काली का जब दर्शन साक्षात हुआ |
पगला साधक परमहंस की महिमा से विख्यात हुआ ||
मंदिर क्या है वास्तुशिल्प का सुन्दर एक नमूना है |
भागीरथी की अँगूठी में जैसे जड़ा नगीना है ||
माँ की प्रतिमा दुष्ट जनों को विकट रूप दर्शाती है |
लेकिन अपने भक्तों पर शान्ति सुधा बरसाती है ||
एक हाथ में असुर शीश है दूजे में करवाल है |
शिव स्वरूप माँ चरणों में लेता देखो काल है ||
अट्टहास करती माता की छवि निहारते रह जाओगे |
कृपा अगर होगी तो भवसागर से तर जाओगे ||
मातृ कंठ में जपाकुसुम की माला शोभा पाती है |
नील श्याम आभा के आगे विद्युत भी शर्माती है ||
ऐसा रूप विकट और सुन्दर मैंने कभी न देखा था |
माँ का दर्शन पा जाना भी भाग्य भाल का लेखा था ||

इलेक्ट्रोनिक मिडिया प्रभारी
कादम्बिनी क्लब
हैदराबाद

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