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सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम.
उज्जयिन्यां महाकालमोंकारममलेश्वरं.१.
सोमनाथ सौराष्ट्र में, मलिकार्जुन श्रीशैल.
ममलेश्वर ओंकार में, महाकाल उज्जैन.१.
परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमशंकरं.
सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने.२.
भीमशंकर डाकिन्या, परलय वैद्येश.
नागेश्वर दारुकावन, सेतुबंध रामेश.२.
हिमालय तु केदारं घुश्मेशं तु शिवालये.३.
तीर गौतमी त्र्यम्बक, काशी में विश्वेश.
केदारेश्वर हिमालय, शिव-आले घुश्मेश.३.
एतानि ज्योतिर्लिन्गानी सायं-प्रातः पठेन्नरः.
सप्तजन्मकृतं पापं स्मरणेन विनश्यति.४.
बारह ज्योतिर्लिंग का पाठ सवेरे-शाम.
'सलिल' पाप शत जन्म के मिटा, देत शिव-धाम.४.
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5 टिप्पणियां:
धन्यवाद इस पावन पाठ के हिन्दी अनुवाद के लिये।
धन्यवाद इस पावन पाठ के हिन्दी अनुवाद के लिये।
-सर्जना शर्मा- :
तांडव स्त्रोत सुनने में जितना अच्छा लगता है उतना ही कठिन भी है महाशिवरात्रि पर आपने ये लिखा धन्यवाद
sn Sharma ✆
ekavita
आदरणीय आचार्य जी,
शिव-तांडव स्तोत्र की लय-ताल अपने में अनोखी है , जिसका समुचित आनंद उसी लय-ताल में गा व सुन कर मिलता है |
मेरे पिताश्री शिव-तांडव स्तोत्र का एक ऐसा हिंदी रूपांतरण ताली बजाते कभी-कभी गा कर सुनाते थे जिसकी लय-ताल बिलकुल वही थी जो मूल संस्कृत श्लोकों की है | हम सब भाव-विभोर हो जाते थे | मैंने बाद में अनेक पद्यबद्ध अनुवाद सुने तो पर उस अनुवाद का आनंद नहीं पाया | अब तो मूल भाषा में ही गा कर आत्मानंद मिलता है |
यह रावण-रचित और तन्मयता से गयी हुई स्तुति से ही उसे प्रभु का साक्षात्कार हुआ था |
मन जब बहुत क्षुब्ध होता है तो देवाधिदेव
शंकर जी के कुछ स्तोत्रों, जिनमें एक की रचना तो स्वयं श्रीराम ने की थी , सस्वर गा कर बड़ी
तृप्ति, मोह-भंग और मार्गदर्शन मिलता है |
आपके अनुवाद द्वारा स्तोत्र के अर्थों पर और भी ज्ञान-वर्धन हुआ |
आपकी रचना को नमन |
सादर
कमल
सुंदर अनुवाद |
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