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शुक्रवार, 25 मार्च 2011

ईहातीत क्षण: मृदुल कीर्ति


 


ईहातीत क्षण: मृदुल कीर्ति

ईहातीत क्षणों की अनुभूति अनुभव गम्य होती है। यह आत्मा जिसमें हर क्षण कुछ ज्ञान पर्याय प्रकट हो रहे हैं। यह हर क्षण कुछ जान रहा है और उस ज्ञान के आकार में परिवर्तित हो रहा है। जब यह पञ्च भूतों को भोगता है, जानता है, तो उसमें व्यक्त होता है, रूपायित होता है ,प्रति भासित होता है, फ़िर स्वयम में लीं हो जाता है, बाहर कुछ रहता नहीं है। इन कवितायों में सत्ता के अस्ति, अव्यय अव्यक्त, अन्तः मुक्त स्वरुप को साक्षात करने का प्रयास किया है। इनमें यदि कहीं दिव्य अनुभूति है तो वह ईश्वर की कृपा है। दोष सारे मेरे हैं।
ईहातीत क्षण ------ईश्वरीय अनुकम्पा के क्षणों का दिव्य प्रसाद है.

1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

ईहातीत क्षण


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