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बुधवार, 15 अप्रैल 2009

शिव भजन -सतीश चन्द्र वर्मा, भोपाल

नमामि शंकर
नमामि शंकर, नमामि शंकर...

बदन में भस्मी, गले में विषधर.
नमामि शंकर, नमामि शंकर...

जटा से गंगा की धारा निकली.
विराजे मस्तक पे चाँद टिकली.
सदा विचरते बने दिगंबर,
नमामि शंकर, नमामि शंकर...

तुम्हारे मंदिर में नित्य आऊँ.
तुम्हारी महिमा के गीत गाऊँ.
चढ़ाऊँ चंदन तुम्हें मैं घिसकर,
नमामि शंकर,नमामि शंकर...

तुम्हीं हमारे हो एक स्वामी.
कहाँ हो आओ, हे विश्वगामी!
हरो हमारी व्यथा को आकर,
नमामि शंकर,नमामि शंकर...
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