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मंगलवार, 28 अप्रैल 2009

भजन सलिला: बाजे अवध बधैया -स्व शान्ति देवी

बाजे अवध बधैया

बाजे अवध बधैया, हाँ हाँ बाजे अवध बधैया...

मोद मगन नर-नारी नाचें, नाचें तीनों मैया।

हाँ-हाँ नाचें तीनों मैया, बाजे अवध बधैया..

मातु कौशल्या जनें रामजी, दानव मार भगैया

हाँ हाँ दानव मार भगैया बाजे अवध बधैया...

मातु कैकेई जाए भरत जी, भारत भार हरैया

हाँ हाँ भारत भार हरैया, बाजे अवध बधैया...

जाए सुमित्रा लखन-शत्रुघन, राम-भारत की छैयां

हाँ हाँ राम-भारत की छैयां, बाजे अवध बधैया...

नृप दशरथ ने गाय दान दी, सोना सींग मढ़ईया

हाँ हाँ सोना सींग मढ़ईया, बाजे अवध बधैया...

रानी कौशल्या मोहर लुटाती, कैकेई हार-मुंदरिया

हाँ हाँ कैकेई हार-मुंदरिया, बाजे अवध बधैया...

रानी सुमित्रा वस्त्र लुटाएं, साडी कोट रजैया

हाँ हाँ साडी कोट रजैया, बाजे अवध बधैया...

विधि-हर हरि-दर्शन को आए, दान मिले कुछ मैयाहाँ

हाँ हाँ दान मिले कुछ मैया, बाजे अवध बधैया...

'शान्ति'-सखी मिल सोहर गावें, प्रभु की लेनी बलैंयाँ

हाँ हाँ प्रभु की लेनी बलैंयाँ, बाजे अवध बधैया...

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