१
मौसमे-गुल फ़िर सुहाना हो गया।

आपका भी गम पुराना हो गया।
आपके बिन ज़िंदगी दुश्वार थी,
इस कमी को इक ज़माना हो गया।
ख़ुद से बढ़कर अब नहीं हमदम कोई,
हर किसी को गम सुनाना हो गया।
आपको है दुनियादारी का नशा,
आपसे तो दिल लगाना हो गया।

जगता है देखकर मौका - महल,
दर्दे-दिल कितना सयाना हो गया।
'साज़ साहब' आइये, उठिए चलें,
हो गया आंसू बहाना हो गया।
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