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शनिवार, 26 फ़रवरी 2022

सॉनेट

सॉनेट 
ख्वाब  
हुआ हक़ीक़त रहा न ख्वाब
तुमको ज्योंही दिया गुलाब।
कौन ला सके बोलो ताब।।
चाँद लजाया ऐसी आब।। 

छूने से मैला हो रूप। 
तुमको पा मन खुश हो भूप। 
उजला उजला रूप अरूप।। 
तुम्हें देख धूमिल हो धूप।।

हारा हृदय, आप ही आप। 
शांत दग्ध उर का है ताप।  
हर्ष गया जीवन में व्याप।।

तजा द्वैत; अद्वैत वरा। 
खोटा मन हो गया खरा। 
खुद को खोकर तुम्हें वरा।।  
 

सॉनेट 
तुम 
आँख लगी तुम रहीं रिझाती।
आँख खुली हो जातीं गायब।
आँख मिली तुम रहीं लजाती।।
आँख झुकी झट रीझ गया रब।।

आँख उठाई दिल निसार है।
आँख लड़ाई दिलवर हारा।
आँख दिखाई, क्या न प्यार है?
आँख तरेरी उफ् फटकारा।।

आँख झपककर कहा न बोलो।
आँख अबोले रही बोलती।
आँख बरजती राज न खोलो।।
आँख लाल हो रही डोलती।।

आँख मुँदी तो हो तुम ही तुम।
आँख खुली तो हैं हम ही हम।।
२६-२-२०२२
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