लघु कथा:
चन्द्र ग्रहण
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फेसबुक पर रचनाओं की प्रशंसा से अभिभूत उसने प्रशंसिका के मित्रता आमंत्रण को स्वीकार कर लिया। एक दिन सन्देश मिला कि वह प्रशंसिका उसके शहर में आ रही है और उससे मिलना चाहती है। भेंट के समय आसपास के पर्यटन स्थलों का भ्रमण करने का प्रस्ताव उसने सहज रूप से स्वीकार कर लिया। नौका विहार आदि के समय कई सेल्फी भी लीं प्रशंसिका ने। लौटकर वह प्रशंसिका को छोड़ने उसके कमरे में गया ही था कि कमरे के बाहर भाग-दौड़ की आवाज़ आई और जोर से दरवाजा खटखटाया गया।
दरवाज़ा खोलते ही कुछ लोगों ने उसे घेर लिया। गालियाँ देते हुए, उस पर प्रशंसिका से छेड़छाड़ और जबरदस्ती के आरोप लगाये गए, मोबाइल की सेल्फ़ी और रात के समय कमरे में साथ होना साक्ष्य बनाकर उससे रकम माँगी गयी, उसका कीमती कैमरा और रुपये छीन लिए गए। किंकर्तव्यविमूढ़ उसने इस कूटजाल से टकराने का फैसला किया और बात मानने का अभिनय करते हुए द्वार के समीप आकर झटके से बाहर निकलकर द्वार बंद कर दिया अंदर कैद हो गई प्रशंसिका और उसके साथी।
तत्काल काउंटर से उसने पुलिस और अपने कुछ मित्रों से संपर्क किया। पुलिसिया पूछ-ताछ से पता चला वह प्रशंसिका इसी तरह अपने साथियों के साथ मिलकर भयादोहन करती थी और बदनामी के भय से कोई पुलिस में नहीं जाता था किन्तु इस बार पाँसा उल्टा पड़ा और उस चंद्रमुखी को लग गया चंद्रग्रहण।
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१०-११-२०१५
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