*
अड़े खड़े हो
न राह रोको
यहाँ न झाँको
वहाँ न ताको
न उसको घूरो
न इसको देखो
परे हटो भी
न व्यर्थ टोको
इसे बुलाओ
उसे बताओ
न राज अपना
कभी बताओ
न फ़िक्र पालो
न भाड़ झोंको
अड़े खड़े हो
न राह रोको
यहाँ न झाँको
वहाँ न ताको
न उसको घूरो
न इसको देखो
परे हटो भी
न व्यर्थ टोको
इसे बुलाओ
उसे बताओ
न राज अपना
कभी बताओ
न फ़िक्र पालो
न भाड़ झोंको
फिसल पड़े हो
अड़े खड़े हो
*
*
न भीत भागो
न भीख माँगो
न व्यर्थ उलझो
तुरत ही सुलझो
न भाड़ झोंको
न व्यर्थ टोंको
रही न नानी
न भीख माँगो
न व्यर्थ उलझो
तुरत ही सुलझो
न भाड़ झोंको
न व्यर्थ टोंको
रही न नानी
कहो कहानी
एक था राजा
एक थी रानी
न राज बदला
न ताज बदला
न पेट पलता
न काम चलता
एक था राजा
एक थी रानी
न राज बदला
न ताज बदला
न पेट पलता
न काम चलता
अटक पड़े हो
अड़े खड़े हो
*
न झूठ बोलो
न सत्य तोलो
व्यथा भुलाओ
गले लगाओ
न रोना रोना
न धैर्य खोना
बहा पसीना
न सत्य तोलो
व्यथा भुलाओ
गले लगाओ
न रोना रोना
न धैर्य खोना
बहा पसीना
फुला ले सीना
है तू कंकर
तुझी में कंकर
खड़ा जमीं पे
नज़र गगन पे
न फूल खिलना
न धूल मिलना
है तू कंकर
तुझी में कंकर
खड़ा जमीं पे
नज़र गगन पे
न फूल खिलना
न धूल मिलना
उखड गड़े हो
अड़े खड़े हो
***
गीत:
दादी को ही नहीं
गाय को भी भाती हो धूप
तुम बिन नहीं सवेरा होता
गली उनींदी ही रहती है
सूरज फसल नेह की बोता
ठंडी मन ही मन दहती है
ओसारे पर बैठी
अम्मा फटक रहीं है सूप
हित-अनहित के बीच खड़ी
बँटवारे की दीवार
शाख प्यार की हरिया-झाँके
दीवारों के पार
भौजी चलीं मटकती, तसला
लेकर दृश्य अनूप
तेल मला दादी के, बैठी
देखूँ किसकी राह?
कहाँ छबीला जिसने पाली
मन में मेरी चाह
पहना गया मुँदरिया बनकर
प्रेमनगर का भूप
***
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