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सोमवार, 5 अक्तूबर 2020

मुक्तक दीपावली

 मुक्तक:

सत्य-शिव-सुंदर अनुसंधान है दीपावली
सत-चित-आनंद का अनुगान है दीपावली
प्रकृति-पर्यावरण के अनुकूल जीवन हो 'सलिल'
मनुजता को समर्पित विज्ञान है दीपावली
धर्म राष्ट्र विश्व पर अभिमान है दीपावली
प्रार्थना प्रेयर सबद अजान है दीपावली
धर्म का है मर्म निरासक्त कर्म ही सलिल
निष्काम निष्ठा-लगन का सम्मान है दीपावली
पुरुषार्थ को परमार्थ की पहचान है दीपावली
नयन में पलता हसीं अरमान है दीपावली
आन-बान-शान से जीवन जियें हँसकर 'सलिल'
असत पर शुभ सत्य का जयगान है दीपावली
निस्वार्थ सेवा का सतत अभियान है दीपावली
तृषित अधरों की मधुर मुस्कान है दीपावली
सृजित कर कंकर से शंकर जो अचीन्हें रह गए
काय-स्थित ईश्वर कायस्थ है दीपावली
सर्व सुख लिये निज बलिदान है दीपावली
आस्था विश्वास निष्ठा मान है दीपावली
तूफ़ान-तम को जीतता जो 'सलिल' दृढ़ संकल्प से
उसी नन्हें दीप का जयगान है दीपावली

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