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सोमवार, 5 अक्तूबर 2020

शारद स्तुति

 *शारद स्तुति*

शारदे आकर विराजें
सृजन सुंदर सृष्टिमय ।
सुमन सौरभ सुरभि सुरभित
सलिल सलिला दृष्टिमय ।।
शुभ्र ज्योतित वेद दात्री
ज्ञान मातु प्रदायनी ।
भक्त वत्सल, सप्त सुरमय
आप शुभ वरदायनी ।।
हंस वाहन शोभते माँ
शारदे भव तार दे।
काज ऐसे नित करूँ माँ
ज्ञान का नव सार दे ।।
दिव्य पोषित दिव्यता उर
अर्चना नित आपकी ।
भाव पुष्पों के समर्पित
वंदना नित आपकी ।।
साधना आराधना हो
आपकी सेवा सतत ।
कमल आसन शोभते माँ
पूजते देवा सतत ।।
विमल विमला वस्त्र धारे
ब्रह्म शब्दों से सजी ।
मातु मेरे हिय समाओ
मधुर मधुरिम धुनि बजी ।।
छाया सक्सेना 'प्रभु '

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