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बुधवार, 13 मार्च 2019

कुण्डलिया

कुण्डलिया 
संजीव 'सलिल' 
हिंदी की जय बोलिए, हो हिंदीमय आप. 
हिंदी में नित कार्य कर, सकें विश्व में व्याप.. 
सकें विश्व में व्याप, नाप लें सकल ज्ञान का. 
नहीं व्यक्ति का, बिंदु 'सलिल' राष्ट्रीय आन का..
नेह-नरमदा नहा बोलिए होकर निर्भय.
दिग्दिगंत में गूज उठे, फिर हिंदी की जय..
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