दोहा-सोरठा गीत
बुधवार, १३-३-२०१९
*
ख़ास-ख़ास मिल लड़ रहे,
कहते आम चुनाव।
नूराकुश्ती सियासत,
ऐक्य संग अलगाव।।
*
पाने रोटी-दाल,
आम आदमी जूझता।
जनता का दुःख-दर्द,
नेता कभी न बूझता।
सुविधाएँ दे त्याग,
मार्ग न उसको सूझता।
मिटती कभी न दूरियाँ
दूर न हो भटकाव।
ख़ास-ख़ास मिल लड़ रहे
कहते आम चुनाव।।
*
वादे रखें न याद,
दावे झूठे कर रहे।
जन-हितकारी मूल्य
बिन मारे ही मर रहे।
इसकी टोपी छीन,
उसके सिर पर धर रहे।
केर-बेर का संग ही
दिखला रहा प्रभाव।
ख़ास-ख़ास मिल लड़ रहे
कहते आम चुनाव।।
*
संवस
बुधवार, १३-३-२०१९
*
ख़ास-ख़ास मिल लड़ रहे,
कहते आम चुनाव।
नूराकुश्ती सियासत,
ऐक्य संग अलगाव।।
*
पाने रोटी-दाल,
आम आदमी जूझता।
जनता का दुःख-दर्द,
नेता कभी न बूझता।
सुविधाएँ दे त्याग,
मार्ग न उसको सूझता।
मिटती कभी न दूरियाँ
दूर न हो भटकाव।
ख़ास-ख़ास मिल लड़ रहे
कहते आम चुनाव।।
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वादे रखें न याद,
दावे झूठे कर रहे।
जन-हितकारी मूल्य
बिन मारे ही मर रहे।
इसकी टोपी छीन,
उसके सिर पर धर रहे।
केर-बेर का संग ही
दिखला रहा प्रभाव।
ख़ास-ख़ास मिल लड़ रहे
कहते आम चुनाव।।
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संवस
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