एक रचना
सोते-सोते
*
सोते-सोते
बहें न सोते
या अपनी किस्मत को रोते?
सोच, समय कन्फ्यूज।
*
ब्यौहारी ब्यौहार निभाएँ
त्यौहारी त्यौहार मनाएँ
विजय हेतु मरते सैनिक पर
नेता-कवि मिल विजय भुनाएँ
असरदार को कोस रहे, खुद
असरदार बन लोग
देख समय कन्फ्यूज
*
सलिल-धार में नहा-नहाकर
घी-बाती के दीप बहाकर
करें गौकशी बिना छुरा क्यों
पॉलीथीन के ढेर लगाकर?
संत असंत बसंत मनाएँ
लाइलाज है रोग
लेख समय कन्फ्यूज
***
संवस, ६-३-२०१९
दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
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बुधवार, 6 मार्च 2019
नवगीत
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