सामयिक फाग:
दिल्ली के रंग
*
दिल्ली के रंग रँगो गुइयाँ।
जुलुस मिलें दिन-रैन, लगें नारे कई बार सुनो गुइयाँ।।
जे एन यू में बसो कनैया, उगले ज़हर बचो गुइयाँ।
संसद में कालिया कई, चक्कर में नाँय फँसो गुइयाँ।।
मम्मी-पप्पू की बलिहारी, माथा ठोंक हँसो गुइयाँ।।
छप्पन इंची छाती पंचर, सूजा लाओ सियों गुइयाँ।।
पैले आप-आप कर रए रे, छूटी ट्रेन न रो गुइयाँ।।
नेताजी खों दाँव चूक रओ, माया माँय धँसो गुइयाँ।।
थाना फुँका बता रईं ममता, अपराधी छूटो गुइयाँ।।
सुसमा-ईरानी जब बोलें, चुप्पै-चाप भगो गुइयाँ।।
२२.३.२०१६
***
दिल्ली के रंग
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दिल्ली के रंग रँगो गुइयाँ।
जुलुस मिलें दिन-रैन, लगें नारे कई बार सुनो गुइयाँ।।
जे एन यू में बसो कनैया, उगले ज़हर बचो गुइयाँ।
संसद में कालिया कई, चक्कर में नाँय फँसो गुइयाँ।।
मम्मी-पप्पू की बलिहारी, माथा ठोंक हँसो गुइयाँ।।
छप्पन इंची छाती पंचर, सूजा लाओ सियों गुइयाँ।।
पैले आप-आप कर रए रे, छूटी ट्रेन न रो गुइयाँ।।
नेताजी खों दाँव चूक रओ, माया माँय धँसो गुइयाँ।।
थाना फुँका बता रईं ममता, अपराधी छूटो गुइयाँ।।
सुसमा-ईरानी जब बोलें, चुप्पै-चाप भगो गुइयाँ।।
२२.३.२०१६
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