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शुक्रवार, 22 मार्च 2019

दोहा-दो पदी

दोहा 
सावन-फागुन कह रहे, लड़े न मन का मीत। 
गले मिले, रच कुछ नया, बढ़े जगत में प्रीत।
दो पदी  
सुबह उषा का पीछा करता, फिर संध्या से आँख मिला 
रजनी के आँचल में छिपता, सूरज किससे करें गिला?
२२.३.२०१७ 

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