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सोमवार, 11 मार्च 2019

हाइकु

त्रिपदिक छंद
*
बेतला वन
नील नभ के नीचे
हरा सघन
*
अंगार वन
फूल उठा पलाश
होली दहन
*
विहँसा टेसू
बाधाएँ देखकर
 न हों हताश
*
औरंगा नदी
दम तोड़ती धार
रेत का घर
*
भुज भेटतीं
औरंगा सह कोयल
सखियाँ मिलीं
*
आम के बौर
महके, बौरा रहे
गौरा औ' गौर                                                                                                                                             
*
करे बेचैन
चलभाष की ध्वनि
हो ध्यान भंग
*
राज खोलता
दर्पण द्रोही नहीं
सत्य बोलता
*
चंपा महका
जूही-मन चहका
अद्वैत वरा
*
टेरें वानर
कूदकर शाखों से
आ जाओ भाई!
*
पांडित्यपूर्ण
लालित्यमयी माधुर्य
भूमि पलामू
*
विकर्षण में
आकर्षण अमित
घर-गृहस्थी
*
विद्रूपताएँ
कनेर के फूल सी
निर्गन्ध पुष्प
*
जली अँगीठी
धुआँ उड़ा कड़वा
चाय है मीठी
*
किनारे लगी
लहरों पर बढ़
जीवन-नैया
*
हिंदी-मुस्लिम
हैं तो परिपूरक
पर उन्मन
*
पावस-पाती
मेघदूत ले आया
धरा हर्षाती
*
चहचहाती
गौरैया तज मौन
हुई कविता
*
नजर आते
कहीं नहीं परिंदे
मानव दोषी
*
दिखा झुर्रियाँ
दर्पण कहे सच
मानव झूठ
*
ज्ञान-पिपासा?
गुरु हैं तृप्ति-दाता
गह शरण
*
मेघ गरजे
नाच उठे मयूर
मयूरी रीझे
*
शीश लगाओ
हिंदुस्तान की माटी
फिर जी जाओ
*
बहार पर
है बैगनबोलिया
निखार पर
*
अरुणचूर
बजाए शहनाई
उषा लजाई
*
कहें वानर
बेतला जंगल के
मैं पूर्वज
*

 




            

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