कार्य शाला
विषय: निवाला
*
त्रिपदी: हाइकु
निवाला मिला
ईश्वर का आभार
भुला दो गिला।
*
त्रिपदी: माहिया
प्रभु की हो कृपा जिस पर
उसे मिलता निवाला है
कर शुक्रिया खा मानव
*
* मुक्तक *
निवाला मिला नहीं तो चाह निवाला।
निवाला मिला तो कहा वाह निवाला।।
निवाला पा भूख बढ़ी डाह निवाला।
निवाला छीना तो हुआ आह निवाला।।
*
दोहा
जीव जीव का निवाला, विधि का यही विधान।
जोड़ रहे धन-संपदा, दो दिन के मेहमान।।
*
कुण्डलिया
भूख-निवाला का निभा, जन्म-जन्म का साथ।
जीना इनके साथ ही, रहो मिलाकर हाथ।।
रहो मिलाकर हाथ, तभी तो खैर रहेगी।
तनहाई में भूख, अधिक ही तुम्हें डँसेगी।।
रहना यदि संजीव, न करना गड़बड़ झाला।
सलिल लगे जब भूख, निगलना तभी निवाला।।
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विषय: निवाला
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त्रिपदी: हाइकु
निवाला मिला
ईश्वर का आभार
भुला दो गिला।
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त्रिपदी: माहिया
प्रभु की हो कृपा जिस पर
उसे मिलता निवाला है
कर शुक्रिया खा मानव
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* मुक्तक *
निवाला मिला नहीं तो चाह निवाला।
निवाला मिला तो कहा वाह निवाला।।
निवाला पा भूख बढ़ी डाह निवाला।
निवाला छीना तो हुआ आह निवाला।।
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दोहा
जीव जीव का निवाला, विधि का यही विधान।
जोड़ रहे धन-संपदा, दो दिन के मेहमान।।
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कुण्डलिया
भूख-निवाला का निभा, जन्म-जन्म का साथ।
जीना इनके साथ ही, रहो मिलाकर हाथ।।
रहो मिलाकर हाथ, तभी तो खैर रहेगी।
तनहाई में भूख, अधिक ही तुम्हें डँसेगी।।
रहना यदि संजीव, न करना गड़बड़ झाला।
सलिल लगे जब भूख, निगलना तभी निवाला।।
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