कार्यशाला
यगण x ४ = यमाता x ४ = (१२२) x ४
बारह वार्णिक जगती जातीय भुजंगप्रयात छंद,
बीस मात्रिक महादैशिक जातीय छंद
बहर फऊलुं x ४
*
हमारा न होता, तुम्हारा न होता
नहीं बोझ होता, सहारा न होता
नहीं झूठ बोता, नहीं सत्य खोता-
कभी आदमी बेसहारा न होता
*
करों याद, भूलो न बातें हमारी
नहीं प्यार के दिन न रातें हमारी
कहीं भी रहो, याद आये हमेशा
मुलाकात पहली, बरातें हमारी
*
सदा ही उड़ेगी पताका हमारी
सदा भी सुनेगा जमाना हमारी
कभी भी न छोड़ा, कभी भी न छोड़ें
अदाएँ तुम्हारी, वफायें हमारी
*
कभी भी, कहीं भी सुनाओ तराना
हमीं याद में हों, नहीं भूल जाना
लिखो गीत-मुक्तक, कहो नज्म चाहे
बहाने बनाना, हमीं को सुनाना
*
प्रथाएँ भुलाते चले जा रहे हैं
अदाएँ भुनाते छले जा रहे हैं
न भूलें भुनाना,न छोड़ें सताना
नहीं आ रहे हैं, नहीं जा रहे हैं
***
यगण x ४ = यमाता x ४ = (१२२) x ४
बारह वार्णिक जगती जातीय भुजंगप्रयात छंद,
बीस मात्रिक महादैशिक जातीय छंद
बहर फऊलुं x ४
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हमारा न होता, तुम्हारा न होता
नहीं बोझ होता, सहारा न होता
नहीं झूठ बोता, नहीं सत्य खोता-
कभी आदमी बेसहारा न होता
*
करों याद, भूलो न बातें हमारी
नहीं प्यार के दिन न रातें हमारी
कहीं भी रहो, याद आये हमेशा
मुलाकात पहली, बरातें हमारी
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सदा ही उड़ेगी पताका हमारी
सदा भी सुनेगा जमाना हमारी
कभी भी न छोड़ा, कभी भी न छोड़ें
अदाएँ तुम्हारी, वफायें हमारी
*
कभी भी, कहीं भी सुनाओ तराना
हमीं याद में हों, नहीं भूल जाना
लिखो गीत-मुक्तक, कहो नज्म चाहे
बहाने बनाना, हमीं को सुनाना
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प्रथाएँ भुलाते चले जा रहे हैं
अदाएँ भुनाते छले जा रहे हैं
न भूलें भुनाना,न छोड़ें सताना
नहीं आ रहे हैं, नहीं जा रहे हैं
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