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रविवार, 2 दिसंबर 2018

द्विपदि (अश'आर)

आँख आँख से मिलाकर, आँख आँख में डूबती।
पानी पानी है मुई, आँख रह गई देखती।।
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एड्स पीड़ित को मिलें एड्स, वो हारे न कभी।
मेरे मौला! मुझे सामर्थ्य, तनिक सी दे दे।।
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बहा है पर्वतों से सागरों तक आप 'सलिल'।
समय दे रोक बहावों को, ये गवारा ही नहीं।।
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आ काश! कि  आकाश साथ-साथ देखकर।
संजीव तनिक हो सके, 'सलिल' के साथ तू।।
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