कुल पेज दृश्य

सोमवार, 14 मई 2018

दोहा सलिला

दोहा सलिला:
*
श्वास-श्वास है परीक्षा, उत्तर मात्र प्रयास।
आस न खोना हौसला,  अधर सजाना हास।।
*
जो खुद ले निज परीक्षा, पल-पल रहकर मौन।
उससे अच्छा परीक्षक, परीक्षाsर्थी कौन?
*
खुद से खुद ही पूछता, है जो कठिन सवाल।
उसको मिले जवाब भी, कभी न झुकता भाल।।
*
वसुधा की ले परीक्षा, रवि बरसाकर आग।
छाया दे तरुवर तुरत, टेसू गाए फाग।।
*
खोटे सिक्के पास हैं, खरे हो रहे फेल।
जनगण बेबस परीक्षक, रहा नकलची झेल।।
*
14.5.2018,    TIET Jabalpur
salil.sanjiv@gmail.com

कोई टिप्पणी नहीं: