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रविवार, 19 अक्तूबर 2014

pustak salila:

पुस्तक सलिला:

चित्रांशोत्सव स्मारिका, प्रकाशक चित्रगुप्त जयंती आयोजन समिति रायपुर

चित्रांशोत्सव १०४ पृष्ठीय पाठ्य सामग्री तथा ३२ पृष्ठीय बहिरंगी विज्ञापन सामग्री से सुसज्जित सुनियोजित स्मारिका है. स्मारिका का मुख्य विषय कायस्थ समाज का इतिवृत्त, संगठन और योगदान है. ऐसी स्मरिकाएँ स्थानीय सहयोगकर्ताओं के योगदान पर निर्भर करती हैं. अतः स्थानीय जनों की मान्यताओं के अनुरूप सामग्री प्रकाशित करती हैं. विविध लेखमों के विविध मतों के अनुसार अंतर्विरोधी सामग्री भी समाहित हो जाती है. चित्रांशोत्सव में एक स्थान पर चित्रगुप्त जी को ब्रम्हा से अवतरित दूसरे लेख में विष्णु का अवतार (नील वर्ण के कारण) कहा गया है. विष्णु के दशावतारों या २१ अवतारों में चित्रगुप्त जी का समावेश नहीं है, अतः यह मत अमान्य है. चित्रगुप्त जी को महामानव, देव, आदिपुरुष या आदि ब्रम्ह क्या माना जाए? इस पर भी विविध लेखों में विविध मत हैं. 
कुछ गणमान्य जनों की जीवनियाँ प्रेरणास्रोत के रूप में देना किन्तु उनके और स्थानीय जनों के साथ एक सामान विशेषण जोड़े जाना उपयुक्त नहीं प्रतीत होता. इससे स्थानीय सहयोगियों का अहम संतुष्ट भले ही हो कद नहीं बढ़ता अपितु महान व्यक्तित्वों का अवमूल्यन प्रतीत होता है. इतनी साज-सज्जा के साथ निकली स्मारिका में युावा पीढ़ी के मार्गदर्शन, उनकी समस्याओं पर एक शब्द भी न होना विचारणीय है.      


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