भाषा-सेतु
दिलीप चित्रे की कविता .
." अर्धसत्य"
अनुवाद: चन्द्रकांत देवताले का
चक्रव्यूह में धँसने के पहले
कौन और कैसा था मैं
यह मुझे याद ही नहीं आएगा
चक्रव्यूह में धँसने के बाद
मेरे और चक्रव्यूह के बीच
केवल जानलेवा निकटता थी
यह मैं जान ही नहीं पाऊंगा
चक्रव्यूह से बाहर निकल
मुक्त हो जाऊँ मैं चाहे फिर भी
कोई फ़र्क़ नहीं पड़ेगा इससे चक्रव्यूह की रचना में
मर जाऊँ या मार डालूँ
ख़त्म कर दिया जाऊँ या ख़ात्मा कर दूँ जान से
असम्भव है इसका निर्णय
सोया हुआ आदमी
जब शुरू करता है चलना नींद में से उठकर
तब वह देख ही नहीं पाऐगा दुबारा
सपनों का संसार
उस निर्णायक रोशनी में
सब कुछ एक जैसा होगा क्या?
एक पलड़े में नपुंसकता
दूसरे पलड़े में पौरुष
और तराजू के काँटे पर बीचों-बीच
अर्धसत्य।
abhar: sharad kokasचक्रव्यूह में धँसने के पहले
कौन और कैसा था मैं
यह मुझे याद ही नहीं आएगा
चक्रव्यूह में धँसने के बाद
मेरे और चक्रव्यूह के बीच
केवल जानलेवा निकटता थी
यह मैं जान ही नहीं पाऊंगा
चक्रव्यूह से बाहर निकल
मुक्त हो जाऊँ मैं चाहे फिर भी
कोई फ़र्क़ नहीं पड़ेगा इससे चक्रव्यूह की रचना में
मर जाऊँ या मार डालूँ
ख़त्म कर दिया जाऊँ या ख़ात्मा कर दूँ जान से
असम्भव है इसका निर्णय
सोया हुआ आदमी
जब शुरू करता है चलना नींद में से उठकर
तब वह देख ही नहीं पाऐगा दुबारा
सपनों का संसार
उस निर्णायक रोशनी में
सब कुछ एक जैसा होगा क्या?
एक पलड़े में नपुंसकता
दूसरे पलड़े में पौरुष
और तराजू के काँटे पर बीचों-बीच
अर्धसत्य।
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