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दोहा मुक्तक:
मोती पाले गर्भ में, सदा मौन रह सीप
गोबर गुपचुप ही रहे, दें आँगन में लीप
बन गणेश जाता मिले, जब लक्ष्मी का संग
तिमिर मिटाता जगत का, जल-चुप रहकर दीप
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दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
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