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शुक्रवार, 17 अक्तूबर 2014

geet:

गीत:

फ़िज़ाओं को, दिशाओं को
बना अपना शामियाना
सफल होना चाहता तो
सीख पगले! मुस्कुराना

ठोकरें खाकर न रुकना, गीत पुनि-पुनि गुनगुनाना
नफरतों का फोड़ पर्वत, स्नेह-सलिला नित बहाना
हवाओं को दे चुनौती, तान भू पर आशियाना
बहाना सीखा बनाना तो न पायेगा ठिकाना
वही पथ पर पग रखे जो जानता सपने सजाना

लक्ष्य पाना चाहता तो
सीख पगले! मुस्कुराना
सदाओं को, हवाओं को
बना अपना शामियाना 

सघनतम हो तिमिर तो सन्निकट जिसने भोर माना
किरण कलमें क्षितिज पत्रों पर जिसे भाता चलाना
कालिमा को लालिमा में बदल जो रचता तराना
ऋचाएँ वंदन उसी का करें, तू मस्तक नवाना
जान वह देता उजाला ले न किंचित मेहनताना

लुटा, पाना चाहता तो
सीख पगले! मुस्कुराना
अदाओं को, प्रथाओं को
बना अपना शामियाना
*


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