नवगीत:
जो बीता
सो बीता, भूलो
उस पर डालो धूल
सरहद पर
नूरा कुश्ती है
बगीचों में
झूठा मेल
हमें छलो तुम
तुम्हें छलें हम
खबरों की हो
ठेलमठेल
हम भी-
तुम भी
कसें न
कह दें
कसी गयी है
ढीली चूल
आम आदमी
क्या कर लेगा?
ताली दे या
गाली देगा
खबर-चित्र
बहसें बेमानी
सौदे ही
रखते हैं मानी हम तुमको
तुम हमको
देकर फूल
चुभाते शूल
******
जो बीता
सो बीता, भूलो
उस पर डालो धूल
सरहद पर
नूरा कुश्ती है
बगीचों में
झूठा मेल
हमें छलो तुम
तुम्हें छलें हम
खबरों की हो
ठेलमठेल
हम भी-
तुम भी
कसें न
कह दें
कसी गयी है
ढीली चूल
आम आदमी
क्या कर लेगा?
ताली दे या
गाली देगा
खबर-चित्र
बहसें बेमानी
सौदे ही
रखते हैं मानी हम तुमको
तुम हमको
देकर फूल
चुभाते शूल
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