कुंडली :
उन्मन मन हैं शांत ज्यों, गुजर गया तूफ़ान
तिनका सिकता का रहा, आँधी से अनजान
आँधी से अनजान, दूब मुस्काकर बोली
पीपल-बरगद उखड़े, कर-कर हँसी-ठिठोली
नम जाते जो उनका बच जाता है जीवन
जिन्हें न नमना भाता वे रहते हैं उन्मन
*
धुआं धूम्र कचरा किया, खूब मना त्यौहार
रसायनों से हो रहे, खुद ही हम बीमार
खुद ही हम बीमार, दोष कुदरत को देते
छप्पर हर मुश्किल का शासन पर धर देते
कहे यही संजीव खोद रहे हम खुद कुआं
अमन-शांति, सुख-चैन करते हमीं धुआं-धुआं
*
उन्मन मन हैं शांत ज्यों, गुजर गया तूफ़ान
तिनका सिकता का रहा, आँधी से अनजान
आँधी से अनजान, दूब मुस्काकर बोली
पीपल-बरगद उखड़े, कर-कर हँसी-ठिठोली
नम जाते जो उनका बच जाता है जीवन
जिन्हें न नमना भाता वे रहते हैं उन्मन
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धुआं धूम्र कचरा किया, खूब मना त्यौहार
रसायनों से हो रहे, खुद ही हम बीमार
खुद ही हम बीमार, दोष कुदरत को देते
छप्पर हर मुश्किल का शासन पर धर देते
कहे यही संजीव खोद रहे हम खुद कुआं
अमन-शांति, सुख-चैन करते हमीं धुआं-धुआं
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