हाइकु मुक्तक:
जलाया दिया, अँधेरा हँस पिया, हर्षाया हिया
मुझे क्या दिया?, पूछती रही प्रिया, न बोला पिया
रमा में मन, बरबस न रमा, मुझे दें जिया
जिया न जाए, तेरे बिन मुझसे, यह क्या किया?
*
दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
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