हाइकू ....
विश्वम्भर शुक्ल
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एक~~
* बंद किताब कैसे पढ़ें निबंध सौ अनुबंध ! दो ~~ * मन आतुर बांटने कों स्नेह वे है चतुर ! तीन~~ * कोई न घर क्यों है यायावर मन सुधर ! चार~~ * सुन के बोल लो,मुग्ध हुआ मन आहट है न ! पांच~~ * मन तो पांखी उड़ गया फुर्र से बात ज़रा सी ! छ:~~ * गौरैय्या उड़ी निस्सीम है गगन चुभी अगन ! सात~~ * रिश्ते हमारे पुरइन पात से झरे भू पर ! आठ~~ * एक जुन्हाई कितनों कों लुभाए ताको ही बस ! * _______________
प्रो.विश्वम्भर शुक्ल
लखनऊ 09415325246 |
दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
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शनिवार, 7 जुलाई 2012
हाइकू .... विश्वम्भर शुक्ल
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आचार्य संजीव वर्मा सलिल
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