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शनिवार, 7 जुलाई 2012

हाइकू .... विश्वम्भर शुक्ल

हाइकू ....
 
विश्वम्भर शुक्ल
कुछ हाइकू दिल से .......
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एक~~
*
बंद किताब
कैसे पढ़ें निबंध
सौ अनुबंध !

दो ~~
*
मन आतुर
बांटने कों स्नेह
वे है चतुर !

तीन~~
*
कोई न घर
क्यों है यायावर
मन सुधर !

चार~~
*
सुन के बोल
लो,मुग्ध हुआ मन
आहट है न !

पांच~~
*
मन तो पांखी
उड़ गया फुर्र से
बात ज़रा सी !

छ:~~
*
गौरैय्या उड़ी
निस्सीम है गगन
चुभी अगन !

सात~~
*
रिश्ते हमारे
पुरइन पात से
झरे भू पर !

आठ~~
*
एक जुन्हाई
कितनों कों लुभाए
ताको ही बस !
*
_______________
प्रो.विश्वम्भर शुक्ल
लखनऊ
09415325246

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