बात-बेबात :
बात निकलेगी तो फिर ...
'संजीव सलिल'
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मानव सभ्यता और संस्कृति के विकास के साथ जिन मूल भावनाओं का विकास हुआ उनमें हास्य-व्यंग्य का स्थान प्रमुख है। संभवतः मानव को छोड़कर अन्य प्राणी इससे अपरिचित हैं।
लोक मानस में राई गीत, कबीरा, होरी गीत, वैवाहिक कार्यक्रमों में गारियाँ आदि में हास्य-व्यंग्य की मनोहारी छटा सर्वत्र दृष्टव्य है। यहाँ तक कि भगवानों को भी अछूता नहीं छोड़ा गया। शिव को भूतनाथ, बैरागी, विष्णु को कामिनी और हरि (वानर), कृष्ण को माखनचोर, रणछोड़, चितचोर आदि संबोधन इसी भावना से उद्भूत हैं। देवियाँ भी इससे बच नहीं पायीं। गौरवर्णा दुर्गा को काली, लक्ष्मी को हरजाई तथा चंचला, सरस्वती को ब्रम्हा को पतित करनेवाली कहा गया।
चित्रकार / व्यंग्य चित्रकार जन भावनाओं को रेखांकित कर जनाक्रोश की शांतिपूर्ण अभिव्यक्ति करते हैं साथ ही जननेताओं को जनमत से अवगत कराते हैं। हाल में ममता बैनर्जी और भीमराव अम्बेडकर पर बनाये गये व्यंग्य चित्रों पर राजनैतिक हलकों में जो असंतोष देखा गया वह लोकतंत्र में भावाभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को देखते हुए उचित नहीं है। यह होहल्ला समझदारी और सहिष्णुता का अभाव दर्शाता है जो किसी भी पल टकराव को जन्म दे सकता है।
चित्रकार / व्यंग्य चित्रकार जन भावनाओं को रेखांकित कर जनाक्रोश की शांतिपूर्ण अभिव्यक्ति करते हैं साथ ही जननेताओं को जनमत से अवगत कराते हैं। हाल में ममता बैनर्जी और भीमराव अम्बेडकर पर बनाये गये व्यंग्य चित्रों पर राजनैतिक हलकों में जो असंतोष देखा गया वह लोकतंत्र में भावाभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को देखते हुए उचित नहीं है। यह होहल्ला समझदारी और सहिष्णुता का अभाव दर्शाता है जो किसी भी पल टकराव को जन्म दे सकता है।
यहाँ प्रस्तुत हैं कुछ व्यंग्य चित्र :
डॉ. अंबेडकर पर विवादस्पद व्यंग्य चित्र
स्वातंत्र्य सत्याग्रहियों पर लाठी-प्रहार
म. गाँधी पर एक और व्यंग्य चित्र
उत्तर प्रदेश चुनाव में विफलता-सोनिया-राहुल पर कटाक्ष
महिला आरक्षण पर यादव द्वय की दुविधा
स्टिंग ओपरेशन पर एक नज़र
महिला आरक्षण पर यादव द्वय की दुविधा
स्टिंग ओपरेशन पर एक नज़र
1 टिप्पणी:
sn Sharma ✆ द्वारा yahoogroups.com
vicharvimarsh
आ० आचार्य जी,
व्यंग पर व्यर्थ का विवाद खड़ा कर उसको उचित मान्यता न देने पर आपकी सचित्र समीक्षा सराहनीय है |
सादर,कमल
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