ॐ सूर्य द्वादश नामावली
हिंदी काव्यानुवाद: संजीव 'सलिल'
*
आदित्यः प्रथमं नामः, द्वितीयं तु दिवाकरः.
तृतीयं भास्करं प्रोक्तं, चतुर्थं च प्रभाकरः..
पंचमं च सहस्त्रान्शु, षष्ठं चैव त्रिलोचनः .
सप्तमं हरिदश्वश्चं, ह्यअष्ठं च विभावसु:..
नवमं दिनकृतं प्रोक्तं, दशमं द्वादशात्मकः.
एकादशं त्रयीमूर्ति द्वादशं सूर्य एव च..
द्वादशैतानि नामानि प्रातःकाले पठेन्नरः.
दु:स्वप्न नाशन सद्यः सर्व सिद्धिः प्रजायते..
***
ॐ सूर्य द्वादश नामावली हिंदी काव्यानुवाद
प्रथम नाम आदित्य, दूसरा नाम दिवाकर.
नाम तीसरा भास्कर, चौथा नाम प्रभाकर..
पंचम सहस्त्रान्शु है, छठवां नाम त्रिलोचन.
हरिद अश्व सातवाँ, विभावसु नाम सुअष्टम..
दिनकृत नवमां नाम, द्वादशात्मक है दसवां.
त्रयीमूर्ति ग्यारहवां, सूर्य सुनाम बारवाँ..
नित्य प्रात बारह नामों का, जाप करे जो.
तुरत दुस्वप्न नष्ट हों, सिद्धि सभी पाये वो.
*****
Acharya Sanjiv verma 'Salil'
http://divyanarmada.blogspot.com
http://hindihindi.in
आदित्यः प्रथमं नामः, द्वितीयं तु दिवाकरः.
तृतीयं भास्करं प्रोक्तं, चतुर्थं च प्रभाकरः..
पंचमं च सहस्त्रान्शु, षष्ठं चैव त्रिलोचनः .
सप्तमं हरिदश्वश्चं, ह्यअष्ठं च विभावसु:..
नवमं दिनकृतं प्रोक्तं, दशमं द्वादशात्मकः.
एकादशं त्रयीमूर्ति द्वादशं सूर्य एव च..
द्वादशैतानि नामानि प्रातःकाले पठेन्नरः.
दु:स्वप्न नाशन सद्यः सर्व सिद्धिः प्रजायते..
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ॐ सूर्य द्वादश नामावली हिंदी काव्यानुवाद
प्रथम नाम आदित्य, दूसरा नाम दिवाकर.
नाम तीसरा भास्कर, चौथा नाम प्रभाकर..
पंचम सहस्त्रान्शु है, छठवां नाम त्रिलोचन.
हरिद अश्व सातवाँ, विभावसु नाम सुअष्टम..
दिनकृत नवमां नाम, द्वादशात्मक है दसवां.
त्रयीमूर्ति ग्यारहवां, सूर्य सुनाम बारवाँ..
नित्य प्रात बारह नामों का, जाप करे जो.
तुरत दुस्वप्न नष्ट हों, सिद्धि सभी पाये वो.
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5 टिप्पणियां:
sn Sharma ✆ द्वारा yahoogroups.com
kavyadhara
आ० आचार्य जी
सूर्य द्वादश नाम स्तोत्र की पद्यानुवाद सहित प्रस्तुति हतु आभारी हू |
सादर
कमल
आदरणीय आचार्य जी,
आपकी विद्वता को नमन ! अनुवाद के माध्यम से भारतीय ग्रंथों का ज्ञान हम सब तक पहुंचाने का आपका प्रयास अति प्रशंसनीय है.
सादर,
कनु
- chandawarkarsm@gmail.com
आचार्य सलिल जी,
अति सुन्दर!
"द्वितियं बुदिवाकरः" की जगह शायद "द्वितियं तु दिवाकरः" होना चाहिए।
सस्नेह
सीताराम चंदावरकर
pranavabharti@gmail.com द्वारा yahoogroups.com ekavita
आ.आचार्य जी,
पावन,मंत्रमुग्ध वातायन.......
जीवन जीने का आमन्त्रण......
शब्द-शब्द में नवीनता है,
संतों की सी पावनता है |
इन नामों को सहेज लूंगी,
धन्यवाद फिर मन से दूंगी ||
सादर
प्रणव भारती
bahut sarthak hai
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