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मंगलवार, 15 मई 2012

दोहा गीत: नन्हें पर... संजीव 'सलिल'

दोहा गीत:
नन्हें पर...
संजीव 'सलिल'
*

*
नन्हें पर र्हौसला है,
तेरा विहग विशाल.
भर उड़ान नभ हो सके,
तुझको निरख निहाल..
*
रवि किरणें टेरें तुझें, खोल देखकर आँख.
कर दे आलस दूर- उठ, लग न जाए फिर आँख..

बाधा से टकरा पुलक, घूर मिलाकर आँख.
संकट-कंटक दूर हों, आप मिलाकर आँख..

कर प्रयास ऊँचा रहे,
तेरा मस्तक-भाल.
भर उड़ान नभ हो सके,
तुझको निरख निहाल..
*
भाग्य देव को मना ले, मिला आँख से आँख.
प्रियतम को प्रिय- डाल दे, जो आँखों में आँख..

पग-पग बढ़ सपने अगिन, रहे बसाये आँख.
तौल परों को- विफल हो, डबडबाये ना आँख..

श्रम-गंगा में स्नान कर,
मत प्रयास को टाल.
भर उड़ान नभ हो सके,
तुझको निरख निहाल..
*
सपने सच कर मुस्कुरा, भर-भर आये आँख.
गिर-उठ-बढ़ स्वागत करे, नगमे गाये आँख..

अपनी नजर उतर ले राई-नौंन ले आँख.
खुद को सब पर वार दे, जग उजार दे आँख..

हो विनम्र पा सफलता,
कर कुछ 'सलिल' कमाल.
भर उड़ान नभ हो सके,
तुझको निरख निहाल..
*



Acharya Sanjiv verma 'Salil'

http://divyanarmada.blogspot.com
http://hindihindi.in



9 टिप्‍पणियां:

achal verma ✆ekavita ने कहा…

achal verma ✆ekavita


आचार्य जी,

इस परिप्रेक्ष में बचपन की एक आपबीती याद आ गई :
गगन में उड़ता रहा तू , पर नजर नीचे
हाथ में मेरी जलेबी , लपक कर खींचे

ओ रे पंछी , हँसू या रोदूँ कहो मैं क्या करूँ

पास में पैसे ख़तम , मैं बैठकर आहें भरूँ ।।

आँख में तेरे तो जैसे तीर है
इतने दूरी से दिखे तो मामला गंभीर है ।।

ढेरों बधाइयों के साथ , इस सुन्दर रचना के लिए

अचल वर्मा

shar_j_n ✆ ekavita ने कहा…

shar_j_n ✆ ekavita


आदरणीय आचार्य जी

बेहद खूबसूरत लिखते हैं आप.

अब आप भी ये कीजिये:) --- " अपनी नजर उतर ले राई-नौंन ले आँख."
सादर शार्दुला

Mahipal Singh Tomar ने कहा…

Mahipal Singh Tomar ✆ द्वारा yahoogroups.com ekavita


ये भी अद्भुत ,
बधाई ,सादर ,
महिपाल , १ ६ / ५ / २० १२

Amitabh Tripathi ✆ ने कहा…

Amitabh Tripathi ✆ द्वारा yahoogroups.com ekavita


आचार्य जी
आपके अभिनव प्रयोगों को नमन
सादर
अमित

salil ने कहा…

अचल जी, शार्दुला जी, महिपाल जी, अमिताभ जी
आपके औदार्य को नमन.

devi nagrani ने कहा…

Devi Nangrani ✆

Sanjiv ji
बाधा से टकरा पुलक, घूर मिलाकर आँख.
संकट-कंटक दूर हों, आप मिलाकर आँख..

nishabd... soch ki gahrai shabdon se jhank kar apne appko abhivyakt karne ko atur...

bahut sunder,

sadar
Devi N

- kanuvankoti@yahoo.com ने कहा…

- kanuvankoti@yahoo.com
श्रम-गंगा में स्नान कर,
मत प्रयास को टाल.
भर उड़ान नभ हो सके,
तुझको निरख निहाल..

सुन्दर , मन भावन...........

सादर,
कनु

ahutee@gmail.com ने कहा…

sn Sharma ✆ ahutee@gmail.com द्वारा yahoogroups.com kavyadhara


आ० आचार्य जी,
सचित्र दोहा- गीत बहुत भाये | दोहा और दोहा-गीत में अंतर क्या है |
क्या मात्राओं का अंतर होता है ?
सादर
कमल

Santosh Bhauwala ✆ ने कहा…

आत्मीय
वन्दे मातरम.
गत सप्ताह अंतरजाल सेवाएँ न होने के कारण आपको उत्तर देने में विलम्ब हुआ. क्षमा प्रार्थी हूँ.
गीत के अंग स्थाई तथा अंतरा होते हैं. जब इनमें से किसी एक या दोनों में दोहा छंद का प्रयोग हो तो दोहा गीत कह सकते हैं. प्रयुक्त दोहे सम तुकांत भी हो सकते हैं, भिन्न तुकों के भी.