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शुक्रवार, 25 मई 2012

गीत: भटक रहे हम... संजीव 'सलिल'

गीत:
भटक रहे हम...
संजीव 'सलिल'
*

*
भटक रहे हम
राह दिखाओ...
*
कण-तृण-क्षण की कैद यह,
सुखद-दुखद है दैव.
मुक्त करो भव-जाल से-
टेरें तुम्हें सदैव..

आह भर रहे,
चाह मिटाओ...
*
हाव भाव के चाव से,
बेबस ठाँव-कुठाँव.
शहर हुए बेचैन तो-
चैन न पायें गाँव.

श्रम-प्रयास की
वाह कराओ.
भटक रहे हम
राह दिखाओ...
*
नन्हें पर ले भर रहे,
नव संकल्प उड़ान.
शुभाशीष-कर शीश पर-
है नीलाभ वितान.

गहन तिमिर से
सूर्य उगाओ.
भटक रहे हम
राह दिखाओ...
*
खोज-खोजकर थक रहे,
गुप्त तुम्हारा चित्र.
गुप्त चित्त से प्रगट हो,
हाथ थाम लो मित्र.

अंश-पूर्ण का
मिलन कराओ.
भटक रहे हम
राह दिखाओ...
*

Acharya Sanjiv verma 'Salil'
http://divyanarmada.blogspot.com
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