मुक्तिका:
तुम्हारे लिये
संजीव 'सलिल'
*
मन बहुत अनमना है तुम्हारे लिये.
ख्वाब हर अधबुना है तुम्हारे लिये..
*
पाठ संयम के हमने किये याद पर-
पैर तो फिसलना है तुम्हारे लिये..
*
आँख हमसे चुराओ, झुकाओ, मिला
प्यार तो झुनझुना है तुम्हारे लिये..
*
बेरुखी की, विरह की कड़ी शीत में
दिल को भीत मचलना है तुम्हारे लिये..
*
कल्पना में मिलन की घड़ी हर मधुर.
भाग्य में कलपना है तुम्हारे लिये..
*
हाले-दिल क्या सुनायें-किसे कब 'सलिल'
गीत हर अनसुना है तुम्हारे लिये..
*
Acharya Sanjiv verma 'Salil'
http://divyanarmada.blogspot.com
http://hindihindi.in
तुम्हारे लिये
संजीव 'सलिल'
*
मन बहुत अनमना है तुम्हारे लिये.
ख्वाब हर अधबुना है तुम्हारे लिये..
*
पाठ संयम के हमने किये याद पर-
पैर तो फिसलना है तुम्हारे लिये..
*
आँख हमसे चुराओ, झुकाओ, मिला
प्यार तो झुनझुना है तुम्हारे लिये..
*
बेरुखी की, विरह की कड़ी शीत में
दिल को भीत मचलना है तुम्हारे लिये..
*
कल्पना में मिलन की घड़ी हर मधुर.
भाग्य में कलपना है तुम्हारे लिये..
*
हाले-दिल क्या सुनायें-किसे कब 'सलिल'
गीत हर अनसुना है तुम्हारे लिये..
*
Acharya Sanjiv verma 'Salil'
http://divyanarmada.blogspot.com
http://hindihindi.in
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें