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मंगलवार, 19 अक्तूबर 2010

हिंदी शब्द सलिला : १२ अ से प्रारंभ शब्द : १२ --- संजीव 'सलिल'


हिंदी शब्द सलिला : १२     संजीव 'सलिल'

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संकेत : अ.-अव्यय, अर. अरबी, अक्रि.-अकर्मक क्रिया, अप्र.-अप्रचलित, अर्थ.-अर्थशास्त्र, अलं.- अलंकार, अल्प-अल्प (लघुरूप) सूचक, आ.-आधुनिक, आयु.-आयुर्वेद, इ.-इत्यादि, इब.-इबरानी, उ. -उर्दू, उदा.-उदाहरण, उप.-उपसर्ग, उपनि.-उपनिषद, अं.-अंगिका, अंक.-अंकगणित, इ.-इंग्लिश/अंगरेजी, का.-कानून, काम.-कामशास्त्र, क्व.-क्वचित, ग.-गणित, गी.-गीता, गीता.-गीतावली, तुलसी-कृत, ग्रा.-ग्राम्य, ग्री.-ग्रीक., चि.-चित्रकला, छ.-छतीसगढ़ी, छं.-छंद, ज.-जर्मन, जै.-जैन साहित्य, ज्या.-ज्यामिति, ज्यो.-ज्योतिष, तं.-तंत्रशास्त्र, ति.-तिब्बती, तिर.-तिरस्कारसूचक, दे.-देशज, देव.-देवनागरी, ना.-नाटक, न्या.-न्याय, पा.-पाली, पारा.- पाराशर संहिता, पु.-पुराण, पुल.-पुल्लिंग, पुर्त. पुर्तगाली, पुरा.-पुरातत्व, प्र.-प्रत्यय, प्रा.-प्राचीन, प्राक.-प्राकृत, फा.-फ़ारसी, फ्रे.-फ्रेंच, ब.-बघेली, बर.-बर्मी, बहु.-बहुवचन, बि.-बिहारी, बुं.-बुन्देलखंडी, बृ.-बृहत्संहिता, बृज.-बृजभाषा  बो.-बोलचाल, बौ.-बौद्ध, बं.-बांग्ला/बंगाली, भाग.-भागवत/श्रीमद्भागवत, भूक्रि.-भूतकालिक क्रिया, मनु.-मनुस्मृति, महा.-महाभारत, मी.-मीमांसा, मु.-मुसलमान/नी, मुहा. -मुहावरा,  यू.-यूनानी, यूरो.-यूरोपीय, योग.योगशास्त्र, रा.-रामचन्द्रिका, केशवदास-कृत, राम.- रामचरितमानस-तुलसीकृत, रामा.- वाल्मीकि रामायण, रा.-पृथ्वीराज रासो, ला.-लाक्षणिक, लै.-लैटिन, लो.-लोकमान्य/लोक में प्रचलित, वा.-वाक्य, वि.-विशेषण, विद.-विदुरनीति, विद्या.-विद्यापति, वे.-वेदान्त, वै.-वैदिक, व्यं.-व्यंग्य, व्या.-व्याकरण, शुक्र.-शुक्रनीति, सं.-संस्कृत/संज्ञा, सक्रि.-सकर्मक क्रिया, सर्व.-सर्वनाम, सा.-साहित्य/साहित्यिक, सां.-सांस्कृतिक, सू.-सूफीमत, स्त्री.-स्त्रीलिंग, स्मृ.-स्मृतिग्रन्थ, ह.-हरिवंश पुराण, हिं.-हिंदी.     

अ से प्रारंभ शब्द : १२

संजीव 'सलिल'
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अक्षया  - स्त्री. सं. पुण्यतिथि विशेष.
अक्षयिणी - वि. स्त्री. सं. देखें अक्षयी, स्त्री. पार्वती.
अक्षयी / यिन  - वि. सं. जिसका क्षय / नाश न हो, अविनाशी.
अक्षय्य - वि. सं. क्षय न होने योग्य, कभी न चुकनेवाला, -नवमी- स्त्री. कार्तिक शुक्ल नवमी.
अक्षय्योदक - पु. सं. श्राद्ध में पिंडदान के बाद दिया जानेवाला जल, मधु और तिल का अर्ध्य.
अक्षर - वि. सं. अविनाशी, अपरिवर्तनशील, अच्युत, नित्य, अक्षय. पु. वर्ण, हर्फ़ उ., स्वर, शब्द, चित्रगुप्त, ब्रम्हा, आत्मा, शिव, विष्णु, खड्ग, आकाश, मोक्ष, तपस्या, जल, अपामार्ग. -गणित- पु. बीजगणित. -चंचु / चण / चन / चुंचु- पु. सुलेखक. -च्युतक- एक खेल. -जननी- स्त्री. लेखनी. - जीवक / जीविक, जीवी / जीविन- पु. लिखने का व्यवसाय करनेवाला, मुंशी, लेखक. -ज्ञान- पु. लिख-पढ़ लेने की योग्यता, साक्षरता, -तूलिक- स्त्री., लेखनी. -धाम- पु. ब्रम्ह्लोक, मोक्ष. -न्यास- पु. लिखावट, तन्त्र की एक क्रिया. -पंक्ति- स्त्री., एक वैदिक वृत्त. -पूजक- वि. धार्मिक पुस्तकों में लिखी बातों का अक्षरशः पालन करनेवाला. -बंध- पु. एक वर्णवृत्त. -माला- स्त्री. स्त्री. वर्णमाला, अल्फाबेट्स इं., हरूफ उ. -मुख- पु. विद्यार्थी, छात्र, विद्वान्. '' अक्षर, वि. अक्षर सीखनेवाला, -मुष्टिका- स्त्री. उँगलियों के संकेत द्वारा बोलना, -वर्जित / शत्रु- व-. अपढ़, निरक्षर. -विन्यास- पु. वर्णविन्यास, हिज्जे उ., स्पेलिंग इं., लिपि, स्क्रिप्ट इं., -वृत्त- वर्णवृत्त, -संस्थापन- पु. लिपि, लिखे हुए अक्षर, -समाम्नाय- पु. वर्णमाला, मु. -घोंटना- अक्षर लिखने का अभ्यास करना, -से भेंट न होना- अपढ़ होना, मुहा. -काला अक्षर भैंस बराबर- अक्षर ज्ञान न होना.              
अक्षरशः - अ. सं. एक-एक अक्षर, हर्फ़-ब-हर्फ़ उ., सोलहों आने, हू-ब-हू, यथावत, जैसे का तैसा.
अक्षरांग - पु. सं. लिपि, लेखन सामग्री, स्टेशनरी इं.
अक्षरा - स्त्री. सं. शब्द, भाषा, देखें अक्षर.
अक्षराक्षर - पु. सं. एक प्रकार की समाधि.
अक्षरारंभ - पु. सं. एक संस्कार कुल १६, पट्टी पूजन, पहले-पहल अक्षर ज्ञान कराना, विद्यारम्भ.
अक्षरार्थ - पु. सं. शब्दार्थ, संकुचित अर्थ.
अक्षरी - स्त्री. सं. वर्ष ऋतु, वर्तनी, हिज्जे, स्पेलिंग इं.
अक्षरौटी - स्त्री. सं. वर्णमाला, लिपि का ढंग, लिखने का तरीका, सितार पर बोल निकलने की क्रिया.
अक्षर्य - वि. सं. अक्षर संबंधी, पु. एक साम.
अक्षान्ति - स्त्री. सं. ईर्ष्या, अधीरता, असहिष्णुता.
अक्षांश - पु. सं. भूमध्य रेखा से उत्तर या दक्षिण का अंतर, पृथ्वी की सतह पर स्थित बिंदु की भू केंद्र पर नापी गयी कोणीय दूरी, जबकि यह दूरी विषुवत रेखा से उत्तर या दक्षिण को ली जाती है. विषुवत रेखा पर स्थित सभी स्थलों का अक्षांश शून्य अंश / डिग्री है, ज्यों-ज्यों उत्तर या दक्षिण की ओर हटते हैं त्यों-त्यों अक्षां बढ़कर अंततः ध्रुवों पर ९० अंश हो जाता है.
अक्षाग्र - पु. सं. धुर, धुरे का छोर. -कील- स्त्री. / कीलन पु.- चक्र्रोध के लिये लगाई जानेवाली खूंटी, लट्ठे और जुए को जोड़नेवाली खूंटी.
अक्षार - वि. सं. क्षाररहित, -लवण- पु. खाररहित प्राकृतिक नमक, नमकरहित हविष्यान्न.
अक्षावाप - पु. सं. जारी. जुआ खेलनेवाला.
अक्षि - स्त्री. सं. आँख, २ / दो संख्या, -कंप- पु. पलक झपकाना, आँख मारना. -कूट / कूटक- पु. आँख की पुतली, नेत्र-गोलक. -गत- वि. दृष्ट, देखा हुआ, विद्यमान, द्वेष्य. -गोलक- आँख की पुतली. -तारक / तारा- आँख का तारा, लाड़ला, अति प्यारा, -निमेश- पु. पल, क्षण. -पक्ष्म / न- पु.बरौनी, भौंह. -पटल- पु. आँख का पर्दा, आँख की पुतली के पीछे की झिल्ली. -भू- वि. दृश्य, सत्य, यथार्थ. -भेषज- पट्टिकालोध्र, आँख पर पट्टी रखना / बाँधना. -लोम / न- पु. बरौनी, भौंह. -विकूणित / विकूशित / विक्षेप - पु. कटाक्ष, चितवन, तिरछी नजर उ., यथार्थ.
अक्षिक / अक्षीक - पु. सं. वृक्ष विशेष, रंजन वृक्ष.
अक्षित - वि. सं. जिसका क्षय न हुआ हो, न छीजने / कम होने / घटने वाला, जिसे चोट न लगी हो, पु. जल, दस लाख की संख्या, मिलियन इं., -वसु- पु. इंद्र, सहस्त्रलोचन.
अक्षितर - पु. सं. जल.
अक्षिब / अक्षिव - पु.. सं. देखें अक्षीब.
अक्षीण - वि. सं. क्षीण / नष्ट न होनेवाला, अनश्वर.
अक्षीब - पु. सं. सहिजन, समुद्र-लवण. वि. अमत्त.
अक्षीय - वि. अक्ष /धुरी संबंधी, एक्सिअल इं.
अक्षीव - पु. सं. देखें अक्षीब.
अक्षुण / akshunna - वि सं. अखंडित, अभग्न, अभंग, अन्यून, अपराजित, कुशल.  
अक्षुद्र - वि. सं. जो नीच / छोटा / तुच्छ न हो, पु. शिव.
अक्षुध्य - वि. सं. भूख नष्ट करने / मिटाने वाला, जिसे भूख न लगती हो.
अक्षुब्ध - वि. सं. क्षोभरहित, अनुत्तेजित, शांत.
अक्षेत्र - वि. सं. क्षेत्ररहित, कृषि के अयोग्य, अनुपजाऊ / परती / बंजर. पु. बुरी / ख़राब जमीन, ज्यामिती का अशुद्ध चित्र, मंदबुद्धि छात्र. -ज्ञ / विद- आध्यात्मिक ज्ञान से शून्य, जिसे शरीर की प्रकृति का ज्ञान न हो.
अक्षेत्री / त्रिन - वि. जिसके पास खेत / कृषि-भूमि न हो.
अक्षोट - पु. सं. पर्वतीय पीलू वृक्ष, अखरोट का पेड़.
अक्षोड / अक्षोडक - पु. सं. देखें अक्षोट.
अक्षोधुक - वि. सं. जो भूखा न हो.
अक्षोनि - स्त्री. देखें अक्षौहिणी.
अक्षोभ - पु. सं. क्षोभ / विकार का अभाव, शांति, हाथी बांधने का खूंटा. वि. शांत, धीर, अविचलित, शिव.
अक्षोभ्य - वि. सं. धीर, गंभीर, अशांत न होनेवाला, पु. वृद्ध, एक बड़ी संख्या, -कवच- पु. एक तंत्रोक्त कवच.
अक्षौहिणी - स्त्री. सं. चतुरंगिणी सेना का एक परिमाण या विभाग, (१.०९,३५० पैदल, ६५,६१० घोड़े, २१,८७० रथ और इतने ही हाथी).
अक्ष्ण - वि. सं. अखंड. पु. समय, काल.  
अक्स - पु. अ. परछाईं, छाया, चित्र, तस्वीर उ., फोटो इं., मुहा. -उतारना- हू-ब-हू नकल करना, जैसा का तैसा बनाना, फोटो खींचना. -छाना- रंग हल्का / फीका पड़ जाना / उतर जाना. -लेना- तस्वीर पर पतला झिल्ली कागज रखकर खाका उतारना.    
अक्सर - अ. देखें अकसर, प्रायः, बहुधा, एकाकी.
अक्सी -  वि. छाया संबंधी, अक्स के जरिये लिया जानेवाला चित्र, फोटोग्राफ. -तसवीर- स्त्री. फोटो, छायाचित्र.                                                                       -- क्रमशः 

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