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गुरुवार, 21 अक्तूबर 2010

हिंदी शब्द सलिला : १४ 'अग' से प्रारंभ शब्द : १ -- संजीव 'सलिल'

हिंदी शब्द सलिला : १४        संजीव 'सलिल'

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संकेत : अ.-अव्यय, अर. अरबी, अक्रि.-अकर्मक क्रिया, अप्र.-अप्रचलित, अर्थ.-अर्थशास्त्र, अलं.- अलंकार, अल्प-अल्प (लघुरूप) सूचक, आ.-आधुनिक, आयु.-आयुर्वेद, इ.-इत्यादि, इब.-इबरानी, उ. -उर्दू, उदा.-उदाहरण, उप.-उपसर्ग, उपनि.-उपनिषद, अं.-अंगिका, अंक.-अंकगणित, इ.-इंग्लिश/अंगरेजी, का.-कानून, काम.-कामशास्त्र, क्व.-क्वचित, ग.-गणित, गी.-गीता, गीता.-गीतावली, तुलसी-कृत, ग्रा.-ग्राम्य, ग्री.-ग्रीक., चि.-चित्रकला, छ.-छतीसगढ़ी, छं.-छंद, ज.-जर्मन, जै.-जैन साहित्य, ज्या.-ज्यामिति, ज्यो.-ज्योतिष, तं.-तंत्रशास्त्र, ति.-तिब्बती, तिर.-तिरस्कारसूचक, दे.-देशज, देव.-देवनागरी, ना.-नाटक, न्या.-न्याय, पा.-पाली, पारा.- पाराशर संहिता, पु.-पुराण, पुल.-पुल्लिंग, पुर्त. पुर्तगाली, पुरा.-पुरातत्व, प्र.-प्रत्यय, प्रा.-प्राचीन, प्राक.-प्राकृत, फा.-फ़ारसी, फ्रे.-फ्रेंच, ब.-बघेली, बर.-बर्मी, बहु.-बहुवचन, बि.-बिहारी, बुं.-बुन्देलखंडी, बृ.-बृहत्संहिता, बृज.-बृजभाषा  बो.-बोलचाल, बौ.-बौद्ध, बं.-बांग्ला/बंगाली, भाग.-भागवत/श्रीमद्भागवत, भूक्रि.-भूतकालिक क्रिया, मनु.-मनुस्मृति, महा.-महाभारत, मी.-मीमांसा, मु.-मुसलमान/नी, मुहा. -मुहावरा,  यू.-यूनानी, यूरो.-यूरोपीय, योग.योगशास्त्र, रा.-रामचन्द्रिका, केशवदास-कृत, राम.- रामचरितमानस-तुलसीकृत, रामा.- वाल्मीकि रामायण, रा.-पृथ्वीराज रासो, ला.-लाक्षणिक, लै.-लैटिन, लो.-लोकमान्य/लोक में प्रचलित, वा.-वाक्य, वि.-विशेषण, विद.-विदुरनीति, विद्या.-विद्यापति, वे.-वेदान्त, वै.-वैदिक, व्यं.-व्यंग्य, व्या.-व्याकरण, शुक्र.-शुक्रनीति, सं.-संस्कृत/संज्ञा, सक्रि.-सकर्मक क्रिया, सर्व.-सर्वनाम, सा.-साहित्य/साहित्यिक, सां.-सांस्कृतिक, सू.-सूफीमत, स्त्री.-स्त्रीलिंग, स्मृ.-स्मृतिग्रन्थ, ह.-हरिवंश पुराण, हिं.-हिंदी.     

'अग' से प्रारंभ शब्द : १.

संजीव 'सलिल'
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अगंड-पु. बिना हाथ-पैर का धड़.
अगंता/तृ - वि. सं. न चलनेवाला, न जानेवाला, स्त्री. अगंत्री.
अग-वि. सं. चलने में असमर्थ, स्थावर, टेढ़ा चलनेवाला, अगम्य, अज्ञ, अज्ञान. पु. पहाड़, पेड़, साँप, सूर्य, घडा, ७ सँख्या, सप्त.--पहाड़ या वृक्ष से पैदा होनेवाला, पहाड़-पहाड़ घूमनेवाला, जंगली, वनचर, वन्य. पु. शिलाजतु, हाथी, गज.-जग-पु. चराचर.-जा-स्त्री. पार्वती.
अगच्छ-वि. सं.जो न चले, अचल. पु. वृक्ष, पर्वत. 
अगट-वि. सं. पु. मांसकी दूकान.
अगटना-अक्रि. एकत्र होना.
अगड़-पु. अकड़, ऐंठ.
अगड़धत्त/अगड़धत्ता-वि. लंबा-तगड़ा, ऊँचा, बढ़ा-चढ़ा.
अगड़बगड़-वि. उलजलूल, बेसिर-पैरका, ऊटपटांग. पु. अंड-बंड काम/बात.
अगड़म-बगड़म-पु. तरह-तरह की चीजों का बेतरतीब ढेर, कबाड़.
अगड़ा/अगड़ी - पु./स्त्री. उच्च वर्ग का/की, पिछड़ा/पिछड़ी का उल्टा.
अगण-पु. सं. पिंगल के चार गण- जगण, तगण, रगण, सगण जजों छंद के आदि में शुभ माने जाते हैं.
अगणन-वि. सं. अगणनीय, असंख्य, अनगिनत.
अगणनीय-वि. सं. देखें अगण्य.
अगणित-वि. सं. अनगिनत, बेहिसाब उ.,-प्रतियात-वि. ध्यान न दिए जाने/उपेक्षित होने/अनदेखी किएजाने के कारण लौटा हुआ.-लज्ज-वि. लज्जा का विचार न करनेवाला, निर्लज्ज, बेशर्म, बेहया. 
अगण्य - वि. सं. असंख्य, तुच्छ, उपेक्षणीय.
अगत - वि. सं. न गया हुआ. आगे चलने हेतु हाथी को आगे बढ़ाने हेतु महावत द्वारा प्रयुक्त किया जानेवाला शब्द. स्त्र. देखें अगति.
अगति - स्त्री. सं. गति का अभाव, पहुँच का न होना, उपाय का अभाव, दुर्दशा, उन्नति का अभाव, प्रगति का रुक जाना, अ. सद्गति मोक्ष-प्राप्ति,-गति-अद्गति मोक्ष की अप्राप्ति, स्थिर पदार्थ. वि. गतिहीन, निरुपाय.
अगतिक - वि. सं. निरुपाय, निराश्रय.-गति-स्त्री. आश्रयहीन का आश्रय, अंतिम आश्रय, ईश्वर.
अगती - वि. सद्गति का अनाधिकारी, कुकर्मी, पापी. पु. पापी मनुष्य. स्त्री एक पौधा जो चरमरोग की दावा है, चकवँड़. वि. पेशगी, अग्रिम, एडवांस इं. अ. पहले से.
अगतीक - वि. सं. जिसपर चलना उचित न हो, कुमार्ग, देखें अगतिक.
अगत्या - अ. सं. आगे चलकर, अंत में, सहसा, अन्य गति/उपाय न रहनेसे, लाचार/बाध्य होकर.
अगदंकार - पु. सं. वैद्य, वैद दे., हकीम उ., डॉक्टर इं.
अगद - वि. सं. नेरोग, स्वस्थ, न बोलनेवाला, बाधारहित. पु. एक औषध, स्वास्थ्य, आरोग्य.-तंत्र-पु. आयुर्वेद के ८ अंगों में से एक जिसमें सर्पादी के दंश की चिकित्सा वर्णित है.-वेद-पु.चिकित्सा-शास्त्र, आयुर्वेद, आयुर्विज्ञान.
                                                                   --- निरंतर.        

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