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शुक्रवार, 10 मार्च 2023

सॉनेट,सरस्वती,गीत,दोहा,कहमुकरी,होली

सॉनेट
शारदा वंदना 
*
आँख खुली तब, चोट लगी जब
मन सितार का तार बना बज
शारद के चरणों की पा रज
करतब करते, मौन न कर तब
*
ढीला बेसुर, कसा टूटता
राग-विराग रहे सम मैया!
ले लो कैंया, दो निज छैंया
बीजांकुर पा नमी फूटता
*
माता! तुम ही भाग्य विधाता
नाद-ताल-ध्वनि भाषा दाता
जन्म जन्म का तुमसे नाता
*
अँखियाँ छवि-दर्शन की प्यासी
झलक दिखाओ श्वास-निवासी!
अंब! आत्म हो ब्रह्म-निवासी
१०-३-२०२३
•••
पद
*
रे मन! शारद के गुन गाओ।
सोकर समय गँवाया नाहक, जगकर कदम बढ़ाओ।।
ठोकर खाकर रो मत; उठ बढ़, साहस कर मुस्काओ।।
मानव तन पा सबका हित कर, सबसे आशीष पाओ।।
अँगुली पकड़ किसी निर्बल की, मंज़िल तक पहुँचाओ।।
स्वार्थ तजो; परमार्थ राह चल, सबको सुख दे जाओ।।
अन्धकार दस दिश व्यापा है, श्रम कर सूर्य उगाओ।।
अक्षर-अक्षर शब्द बनाकर, पद रच मधुर सुनाओ।।
१-१२-२०२२, जबलपुर
***
कहमुकरी
मन की बात अनकही कहती
मधुर सरस सुधियाँ हँस तहती
प्यास बुझाती जैसे सरिता
क्या सखि वनिता?
ना सखि कविता।
लहर-लहर पर लहराती है।
कलकल सुनकर सुख पाती है।।
मनभाती सुंदर मन हरती
क्या सखि सजनी?
ना सखि नलिनी।
नाप न कोई पा रहा।
सके न कोई माप।।
श्वास-श्वास में रमे यह
बढ़ा रहा है ताप।।
क्या प्रिय बीमा?
नहिं प्रिये, सीमा।
१०-३-२०२२
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दोहा
आँखमिचौली खेलते, बादल सूरज संग.
यह भागा वह पकड़ता, देखे धरती दंग..
*
पवन सबल निर्बल लता, वह चलता है दाँव .
यह थर-थर-थर काँपती, रहे डगमगा पाँव ..
*
देवर आये खेलने, भौजी से रंग आज
भाई ने दे वर रंगा, भागे बिगड़ा काज
१०-३-२०१०
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गीत:
ओ! मेरे प्यारे अरमानों,
आओ, तुम पर जान लुटाऊँ.
ओ! मेरे सपनों अनजानों-
तुमको मैं साकार बनाऊँ...
*
मैं हूँ पंख उड़ान तुम्हीं हो,
मैं हूँ खेत, मचान तुम्हीं हो.
मैं हूँ स्वर, सरगम हो तुम ही-
मैं अक्षर हूँ गान तुम्हीं हो.
ओ! मेरी निश्छल मुस्कानों
आओ, लब पर तुम्हें सजाऊँ...
*
मैं हूँ मधु, मधु गान तुम्हीं हो.
मैं हूँ शर संधान तुम्हीं हो.
जनम-जनम का अपना नाता-
मैं हूँ रस रसखान तुम्हीं हो.
ओ! मेरे निर्धन धनवानों आओ!
श्रम का पाठ पढाऊँ...
*
मैं हूँ तुच्छ, महान तुम्हीं हो.
मैं हूँ धरा, वितान तुम्हीं हो.
मैं हूँ षडरस मधुमय व्यंजन.
'सलिल' मान का पान तुम्हीं हो.
ओ! मेरी रचना संतानों आओ,
दस दिश तुम्हें गुंजाऊँ...
१०-३-२०१०
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