वसुंधरा समूह
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रोला
जनगण का अरमान, संविधान विधि-संहिता।
श्रेष्ठ; करें सम्मान, सभी करें पालन सदा।।
तैंतिसवाँ अध्याय, है अनुसूचित क्षेत्र का।
करे प्रशासन कार्य, कैसे जन के नेत्र का।।
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श्रेष्ठ; करें सम्मान, सभी करें पालन सदा।।
तैंतिसवाँ अध्याय, है अनुसूचित क्षेत्र का।
करे प्रशासन कार्य, कैसे जन के नेत्र का।।
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दोहा
अनुसूची छठवीं लिए, अनुच्छेद बत्तीस।
अनुसूची छठवीं लिए, अनुच्छेद बत्तीस।
मेघालय त्रिपुरा असम, मीजोरम अवनीस।।
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देखें पैरा बीस से, जुड़ी सारणी आप।
भाग एक से तीन के, क्षेत्र लीजिए नाप।।
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जहाँ बसीं जनजातियाँ, जिला स्वशासी बाँट।
अगर भिन्न जनजातियाँ, क्षेत्र स्वशासी छाँट।।
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लागू बोडोलैंड पर, पैरा लागू नहीं यह।
राज्यपाल आदेश दें, सकती सीमा बदल कह।।
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पैरा चौदह-एक के, तहत बने आयोग तब।
प्रतिवेदन पर विचारें, बहुत जरूरी लगे जब।।
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रोला
संशोधित कर सकें, पैरा बीस व सारिणी।
अगर जरूरी लगे, राज्यपाल आदेश दे।।
हरिक जिले में एक, बना जिला परिषद् सकें।
कुल सदस्य हों तीस, मनोनीत कर चार लें।।
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दोहा
मत-अधिकार वयस्क से, चुन लें छब्बिस शेष।
यह संख्या है अधिकतम, वृद्धि न करिए लेश।।
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कुल सदस्य हों अधिकतम, परिषद में छ्यालिस।
गोपनीय मतदान विधि, चुनें वयस्क चालिस।।
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तीस रहें जनजाति से, पाँच अजनजातीय।
पाँच चुनें समुदाय से, राज्यपाल महनीय।।
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छह होंगे उन जिलों से, प्रतिनिधि जहाँ न एक।
चुनना है अनिवार्यत:, दो महिलाएँ नेक।।
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पैरा एक अधीन जो, उपपैरा दो देख।
हर खुद-शासी प्रांत में, परिषद् होगी एक।।
रोला
निगमित वही निकाय, परिषद जिला-प्रदेश का।
वाद करे-चल पाय, उत्तराधिकार-मुद्रा अचल।।
हो कार्बो आलांग, उत्तर कछार पहाड़ी।
स्वशासी परिषद् नाम, करें इन जिलों में गठित।।
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दोहा
बोडो भूमि प्रदेश पर, होगी परिषद एक।
'बोडो भूमि प्रादेशिक परिषद्' नामित नेक।।
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जिला प्रशासन निहित हो, परिषद में उस हद्द।
निहित न परिषद प्रांत में, जो अब तक बेहद्द।।
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प्रांत स्वशासी का निहित, रहे प्रशासन पूर्ण।
प्रादेशिक परिषद विहित, करे कार्य संपूर्ण।।
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प्रादेशिक परिषदमयी, जिला स्वशासी अंग।
शक्ति प्रदत्त व प्रान्त दे, जो वह गहे अभंग।।
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करे जिला परिषद सदा, तदनुरूप ही कार्य।
प्रादेशिक परिषद करे, जिसे सहज स्वीकार्य।।
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रोला
राज्यपाल लें आप, जनजाति संगठन बुला।
करें विमर्श विचार, परिषद-गठन सुकार्य का।।
परिषद जिला-प्रदेश, हेतु नियम तब बनाएँ।
निम्नलिखित उपबंध, उन नियमों में कराएँ।।
दोहा
जनजाति-संगठनों से, राज्यपाल कर बात।
जिला-प्रांत परिषदों के, नियन बनाएँ साथ।।
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नियमों में उपबंध हों, संरचना के सत्व।
कितने रहें सदस्य अरु, आवंटन के तत्व।।
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निर्वाचन का प्रयोजन, क्षेत्रों का फैलाव।
निर्वाचक नामावली, जिसका रहे प्रभाव।।
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रखे अर्हता क्या न जिस, बिन निर्वाचित हो न।
प्रादेशिक परिषदों की, पदाsवधि भी दो न।.
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निर्वाचन नामांsकन,
दोहा
पैरा सोलह के तहत, की ना गई विघटित।
अगर जिला परिषद रहें, सब सदस्य यथावत।।
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अधिवेशन के दिवस से, जो निर्वाचन-बाद।
पाँच वर्ष की अवधि तक, इसमें नहीं विवाद।।
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जिनका नामांकन हुआ, ऐसे सभी सदस्य।
राज्यपाल की कृपा तक, पद पर रहें अवश्य।। 6 क
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पाँच वर्ष की यह अवधि, जब हो आपद काल।
राज्यपाल सकता बढ़ा, अधिकाधिक इक साल।।
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बाद न आपद काल के, षड्मासिक विस्तार।
किया अधिकतम जा सके, किंतु एक ही बार।।
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रोला
जिसका हुआ चुनाव, आकस्मिक पद-रिक्ति पर।
ज्यादा हो न प्रभाव, शेष अवधि पद पर रहे।।
प्रथम गठन पश्चात्, जिला-प्रान्त परिषद सके।
उपपैरा छह-विषय पर, बना नियम पग मत रुके।। ७
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