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सोमवार, 8 अगस्त 2022

सॉनेट, मीरा,गैंग्रीन,दस्त,डायरिया,दोहा,मुक्तक,लघु कथा,

सॉनेट 
मीरा 
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दुख में सुख मीरा की प्रीत 
मिले फूल को पत्थर मीत 
सिसक रहे चुप होकर गीत 
समय न बदले काहे रीत 

मीरा कभी न हुई अतीत 
लगे हार भी उसको जीत 
दुनियादारी कहे अनीत 
वह गुंजाती हरि के गीत 

मीरा किंचित हुई न भीत 
जन्म-जन्म से हरि की क्रीत 
मिलन हेतु नित रहे अधीत 

आत्म हुई परमात्म प्रणीत 
मीरा को है वही सुनीत 
जग कहता है जिसे कुरीत 
८-८-२०२२ 
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चिकित्सा सलिला
नुस्खे
गैंग्रीन (अंग का सड़ जाना) Osteomyelitis, कटे-पके घाव का इलाज
मधुमेह रोगी (डाईबेटिक पेशेंट) की चोट जल्दी ठीक ही नही हो तो धीरे धीरे गैंग्रीन (अंग का सड़ जाना) में बदल जाती है अंत में वह अंग काटना पड़ता है। गैंग्रीन माने अंग का सड़ जाना, जहाँ पे नए कोशिका विकसित नही होते। न तो मांस में और न ही हड्डी में और सब पुराने कोशिका मरते चले जाते हैं। Osteomyelitis में भी कोशिका कभी पुनर्जीवित नही होती, जिस हिस्से में हो वहाँ बहुत बड़ा घाव हो जाता है और वो ऐसा सड़ता है कि काटने केअलावा और कोई दूसरा उपाय नही रहता।
एक औषधि है जो गैंग्रीन को भी ठीक करती है और Osteomyelitis (अस्थिमज्जा का प्रदाह) को भी ठीक करती है।इसे आप अपने घर में तैयार कर सकते हैं। औषधि है देशी गाय का मूत्र (आठ परत सूती कपड़े में छानकर) , हल्दी और गेंदे का फूल। पीले या नारंगी गेंदे के फुल की पंखुरियाँ निकालकर उसमें हल्दी मिला दें फिर गाय मूत्र में डालकर उसकी चटनी बना लें। यह चटनी घाव पर दिन में दो बार लगा कर उसके ऊपर रुई रखकर पट्टी बाँधिए। चटनी लगाने के पहले घाव को छाने हुए जो मूत्र से ही धो लें। डेटोल आदि का प्रयोग मत करिए।
यह बहुत प्रभावशाली है। इस औषधि को हमेशा ताजा बनाकर लगाना है। किसी भी प्रकार का ज़ख्म जो किसी भी औषधि से ठीक नही हो रहा है तो यह औषधि आजमाइए। गीला सोराइसिस जिसमेँ खून भी निकलता है, पस भी निकलता है उसको यह औषधि पूर्णरूप से ठीक कर देती है। दुर्घटनाजनित घाव पर इसे अलगते ही रक्त स्राव रुक जाता है। ऑपरेशन के घाव के लिए भी यह उत्तम औषधि है। गीले एक्जीमा में यह औषधि बहुत काम करती है, जले हुए जखम में भी लाभप्रद है।
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हाथ, पैर और तलुओं की जलन
हाथ-पैर, तलुओं और शरीर में जलन की शिकायत हो तो ५ कच्चे बेल के फलों के गूदे को २५० मिली लीटर नारियल तेल में एक सप्ताह तक डुबाये रखने के बाद में छानकर जलन देने वाले शारीरिक हिस्सों पर मालिश करनी चाहिए, अतिशीघ्र जलन की शिकायत दूर हो जाएगी।
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दस्त - डायरिया
नींबू का रस निकालने के बाद छिलके छाँव में रखकर सुखा लें। कच्चे हरे केले का छिल्का उतारकर बारीक-बारीक टुकड़े करें और इसे भी छाँव में सुखा लें। केले में स्टार्च और नीबू के छिल्कों मे सबसे ज्यादा मात्रा में पेक्टिन होता है। दोनों अच्छी तरह सूख जाएँ तो समान मात्रा लेकर बारीक पीस लें या मिक्सर में एक साथ ग्राइंड कर लें। यह चूर्ण दस्त और डायरिया का अचूक इलाज है। दो-दो घंटे के अंतराल से १ चम्मच चूर्ण खाइये। शीघ्र आराम मिलता है।
८-८-२०२०
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दोहा सलिला
बिंब और प्रतिबिंब में, साम्य न किंचित भेद
मैं-तू ईश्वर अंश हैं, एक परिश्रम-स्वेद
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एक एक होते नहीं, दो; दो मिलकर एक
या ग्यारह होते सलिल, अगर इरादे नेक
मुक्तक
मधु रहे गोपाल बरसा वेणु वादन कर युगों से
हम बधिर सुन ही न पाते, घिरे हैं छलिया ठगों से
कहाँ नटनागर मिलेगा,पूछते रणछोड़ से क्यों?
बढ़ चलें सब भूल तो ही पा सकें नन्हें पगों से
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रंज ना कर मुक्ति की चर्चा न होती बंधनों में
कभी खुशियों ने जगह पाई तनिक क्या क्रन्दनों में?
जो जिए हैं सृजन में सच्चाई के निज स्वर मिलाने
'सलिल' मिलती है जगह उनको न किंचित वंदनों में
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लघु कथा
काल्पनिक सुख
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'दीदी! चलो बाँधो राखी' भाई की आवाज़ सुनते ही उछल पडी वह। बचपन से ही दोनों राखी के दिन खूब मस्ती करते, लड़ते का कोई न कोई कारण खोज लेते और फिर रूठने-मनाने का दौर।
'तू इतनी देर से आ रहा है? शर्म नहीं आती, जानता है मैं राखी बाँधे बिना कुछ खाती-पीती नहीं। फिर भी जल्दी नहीं आ सकता।'
"क्यों आऊँ जल्दी? किसने कहा है तुझे न खाने को? मोटी हो रही है तो डाइटिंग कर रही है, मुझ पर अहसान क्यों थोपती है?"
'मैं और मोटी? मुझे मिस स्लिम का खिताब मिला और तू मोटी कहता है.... रुक जरा बताती हूँ.'... वह मारने दौड़ती और भाई यह जा, वह जा, दोनों की धाम-चौकड़ी से परेशान होने का अभिनय करती माँ डांटती भी और मुस्कुराती भी।
उसे थकता-रुकता-हारता देख भाई खुद ही पकड़ में आ जाता और कान पकड़ते हुई माफ़ी माँगने लगता। वह भी शाहाना अंदाज़ में कहती- 'जाओ माफ़ किया, तुम भी क्या याद रखोगे?'
'अरे! हम भूले ही कहाँ हैं जो याद रखें और माफी किस बात की दे दी?' पति ने उसे जगाकर बाँहों में भरते हुए शरारत से कहा 'बताओ तो ताकि फिर से करूँ वह गलती'...
"हटो भी तुम्हें कुछ और सूझता ही नहीं'' कहती, पति को ठेलती उठ पडी वह। कैसे कहती कि अनजाने ही छीन गया है उसका काल्पनिक सुख।
८-८-२०१७
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दोहा सलिलाः
संजीव
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प्राची पर आभा दिखी, हुआ तिमिर का अन्त
अन्तर्मन जागृत करें, सन्त बन सकें सन्त
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आशा पर आकाश है, कहते हैं सब लोग
आशा जीवन श्वास है, ईश्वर हो न वियोग
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जो न उषा को चाह्ता, उसके फूटे भाग
कौन सुबह आकर कहे, उससे जल्दी जाग
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लाल-गुलाबी जब दिखें, मनुआ प्राची-गाल
सेज छोड़कर नमन कर, फेर कर्म की माल
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गाल टमाटर की तरह, अब न बोलना आप
प्रेयसि के नखरे बढ़ें, प्रेमी पाये शाप.
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प्याज कुमारी से करे, युवा टमाटर प्यार
किसके ज्यादा भाव हैं?, हुई मुई तकरार
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८.८.२०१४

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