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गुरुवार, 4 अगस्त 2022

अगस्त : कब-क्या?,श्रीधर प्रसाद द्विवेदी,मुक्तक, गीत,दोहा,समीक्षा

अगस्त : कब-क्या?
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०१ अगस्त - विश्व स्तनपान दिवस, बाल गंगाधर तिलक स्मृति दिवस, देवकीनंदन खत्री जयंती, राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन जयंती
०२ अगस्त - दादरा एवं नगर हवेली मुक्ति दिवस
०३ अगस्त - हृदय प्रत्यारोपण दिवस, नाइजर स्वतंत्रता दिवस, मैथिलीशरण गुप्त जयंती,
०४ अगस्‍त - महान गायक किशोर कुमार का जन्‍म दिवस
०५ अगस्त - मैत्री दिवस, शिवमंगल सिंह सुमन जयंती,
०६ अगस्त - हिरोशिमा दिवस, विश्व शांति दिवस, सुरेन्द्रनाथ बैनर्जी दिवस
०७ अगस्‍त - राष्‍ट्रीय हथकरघा दिवस, रवीन्द्रनाथ टैगोर स्मृति दिवस, रक्षा बंधन
०८. अगस्त - विश्व वरिष्ठ नागरिक दिवस, भीष्म साहनी जयंती, कृष्णकांत उपाध्याय जयंती,
०९ अगस्त - अगस्त क्रांति दिवस, नागासाकी दिवस, भारत छोड़ो आन्दोलन स्मृति दिवस, विश्व आदिवासी दिवस
१० अगस्‍त - विश्‍व जैव ईंधन दिवस, डेंगू निरोधक दिवस, कजरी तीज, पं. रघुनाथ पाणिग्रही निधन,
११ अगस्त - खुदीराम बोस शहीद दिवस, दिलीप कुमार जन्म १९२२
१२ अगस्त - अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस, पुस्तकालयाध्यक्ष दिन, विक्रम साराभाई जन्‍म दिवस, विश्व हाथी दिवस, नाग पंचमी
१३ अगस्त - वायें हाथ के बल्लेबाज दिवस, विश्व अंगदान दिवस
१४ अगस्त - संस्‍कृत दिवस, पाकिस्तान स्वतंत्रता दिवस, स्वामी अखंडानंद सरस्वती जयन्ती, शहीद गुलाब सिंह पटेल पुण्य तिथि, निहाल तांबा जन्म,
१५अगस्त - स्वतंत्रता दिवस (भारत), महर्षि अरविन्द घोष जयंती, महादेव देसाई दिवस, बांग्लादेश का राष्ट्रीय शोक दिवस, जन्माष्टमी
१६ अगस्त - पांडिचेरी विलय दिवस, रानीअवन्ती बाई दिवस,
१७ अगस्त - इण्डोनेशिया का स्वतंत्रता दिवस, अमृतलाल नागर जयंती, शहीद मदनलाल ढींगरा दिवस, नेताजी वायुयान दुर्घटना
१८ अगस्त - सुभाष चंद्र बोस स्‍मृति दिवस , अफ़ग़ानिस्तान का स्वतंत्रता दिवस, देशज जन अधिकार दिवस, गुलज़ार जन्म,
१९ अगस्त - विश्व मानवता दिवस , विश्व फोटोग्राफी दिवस, विश्व कमीज दिवस, चरक जयन्ती,
२० अगस्त - विश्व मच्छर दिन, राजीव गांधी जयंती, अर्थ ओवरशूट डे, सद्भावना दिवस भारत, संजीव सलिल जन्म
२१ अगस्त - विष्णु दिगंबर पलुस्कर दिवस, बिस्मिल्ला खां निधन
२३ अगस्त - दास व्यापार उन्मूलन दिवस
२५ अगस्त - पं. रघुनाथ पाणिग्रही निधन
२६ अगस्त - महिला समानता दिवस
२७ अगस्त - मदर टेरेसा जयंती, महान गायक मुकेश जी की पुण्यतिथि
२८ अगस्त - रास बिहारी बोस दिवस, फिराक़ गोरखपुरी जयंती, राजेंद्र यादव जन्म, श्याम सखा श्याम जन्म
२९ अगस्त - राष्‍ट्रीय खेल दिवस, ध्यानचंद जन्म दिवस,अन्तर्राष्ट्रीय नाभिकीय परीक्षण विरोध दिवस, वर्षा सिंह जन्म
३० अगस्त - लघु उद्योग दिवस, भगवती चरण वर्मा दिवस,
३१ अगस्त - अमृता प्रीतम जन्म, शिवाजी सावंत जन्म
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कृति चर्चा:
''पाखी खोले पंख'' : गुंजित दोहा शंख
[कृति विवरण: पाखी खोले शंख, दोहा संकलन, श्रीधर प्रसाद द्विवेदी, प्रथम संस्करण, २०१७, आकार २२ से.मी. x १४ से.मी., पृष्ठ १०४, मूल्य ३००/-, आवरण सजिल्द बहुरंगी जैकेट सहित, प्रगतिशील प्रकाशन दिल्ली, दोहाकार संपर्क अमरावती। गायत्री मंदिर रोड, सुदना, पलामू, ८२२१०२ झारखंड, चलभाष ९४३१५५४४२८, ९९३९२३३९९३, ०७३५२९१८०४४, ईमेल sp.dwivedi7@gmail.com]
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दोहा चेतन छंद है, जीवन का पर्याय
दोहा में ही छिपा है, रसानंद-अध्याय
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रस लय भाव प्रतीक हैं, दोहा के पुरुषार्थ
अमिधा व्यंजन लक्षणा, प्रगट करें निहितार्थ
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कत्था कथ्य समान है, चूना अर्थ सदृश्य
शब्द सुपारी भाव है, पान मान सादृश्य
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अलंकार-त्रै शक्तियाँ, इलायची-गुलकंद
जल गुलाब का बिम्ब है, रसानंद दे छंद
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श्री-श्रीधर नित अधर धर, पान करें गुणगान
चिंता हर हर जीव की, करते तुरत निदान
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दोहा गति-यति संतुलन, नर-नारी का मेल
पंक्ति-चरण मग-पग सदृश, रचना विधि का खेल
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कवि पाखी पर खोलकर, भरता भाव उड़ान
पूर्व करे प्रभु वंदना, दोहा भजन समान
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अन्तस् कलुष मिटाइए, हरिए तमस अशेष।
उर भासित होता रहे, अक्षर ब्रम्ह विशेष।। पृष्ठ २१
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दोहानुज है सोरठा, चित-पट सा संबंध
विषम बने सम, सम-विषम, है अटूट अनुबंध
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बरबस आते ध्यान, किया निमीलित नैन जब।
हरि करते कल्याण, वापस आता श्वास तब।। पृष्ठ २४
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दोहा पर दोहा रचे, परिभाषा दी ठीक
उल्लाला-छप्पय सिखा, भली बनाई लीक
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उस प्रवाह में शब्द जो, आ जाएँ 'अनयास'। पृष्ठ २७
शब्द विरूपित हो नहीं, तब ही सफल प्रयास
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ऋतु-मौसम पर रचे हैं, दोहे सरस विशेष
रूप प्रकृति का समाहित, इनमें हुआ अशेष
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शरद रुपहली चाँदनी, अवनि प्रफुल्लित गात।
खिली कुमुदिनी ताल में, गगन मगन मुस्कात।। पृष्ठ २९
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दिवा-निशा कर एक सा, आया शिशिर कमाल।
बूढ़े-बच्चे, विहग, पशु, भये विकल बेहाल।। पृष्ठ २१
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मन फागुन फागुन हुआ, आँखें सावन मास।
नमक छिड़कते जले पर, कहें लोग मधुमास।। पृष्ठ ३१
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शरद-घाम का सम्मिलन, कुपित बनाता पित्त।
झरते सुमन पलाश वन, सेमल व्याकुल चित्त।। पृष्ठ ३३
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बादल सूरज खेलते, आँख-मिचौली खेल।
पहुँची नहीं पड़ाव तक, आसमान की रेल।। पृष्ठ ३५
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बरस रहा सावन सरस्, साजन भीगे द्वार।
घर आगतपतिका सरस, भीतर छुटा फुहार।। पृष्ठ ३६
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उपमा रूपक यमक की, जहँ-तहँ छटा विशेष
रसिक चित्त को मोहता, अनुप्रास अरु श्लेष
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जेठ सुबह सूरज उगा, पूर्ण कला के साथ।
ज्यों बारह आदित्य मिल, निकले नभ के माथ।। पृष्ठ ३९
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मटर 'मसुर' कटने लगे, रवि 'उष्मा' सा तप्त पृष्ठ ४३ / ४५
शब्द विरूपित यदि न हों, अर्थ करें विज्ञप्त
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कवि-कौशल है मुहावरे, बन दोहा का अंग
वृद्धि करें चारुत्व की, अगिन बिखेरें रंग
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उनकी दृष्टि कपोल पर, इनकी कंचुकि कोर।
'नयन हुए दो-चार' जब, बँधे प्रेम की डोर।। पृष्ठ ४६
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'आँखों-आँखों कट गई', करवट लेते रैन।
कान भोर से खा रही, कर्कश कोकिल बैन।। पृष्ठ ४७ २४
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बना घुमौआ चटपटा, अद्भुत रहता स्वाद।
'मुँह में पानी आ गया', जब भी आती याद।। पृष्ठ ४९
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दल का भेद रहा नहीं, लक्ष्य सभी का एक।
'बहते जल में हाथ धो', 'अपनी रोटी सेंक'।। पृष्ठ ५४
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बाबा व्यापारी हुए, बेचें आटा-तेल।
कोतवाल सैंया बना, खूब जमेगा खेल।। पृष्ठ ७७
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कई देश पर मर मिटे, हिन्दू-तुर्क न भेद।
कई स्वदेशी खा यहाँ, पत्तल-करते छेद।। पृष्ठ ७४
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अरे! पवन 'कहँ से मिला', यह सौरभ सौगात। पृष्ठ ४७
शब्द लिंग के दोष दो, सहज मिट सकें भ्रात।।
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'अरे पवन पाई कहाँ, यह सौरभ सौगात'
कर त्रुटि कर लें दूर तो, बाधा कहीं न तात
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झूमर कजरी की कहीं, सुनी न मीठी बोल। पृष्ठ ४८
लिंग दोष दृष्टव्य है, देखें किंचित झोल
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'झूमर-कजरी का कहीं, सुना न मीठा बोल
पता नहीं खोया कहाँ, शादीवाला ढोल
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पर्यावरण बिगड़ गया, जीव हो गए लुप्त
श्रीधर को चिंता बहुत, मनुज रहा क्यों सुप्त?
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पता नहीं किस राह से, गिद्ध गए सुर-धाम।
बिगड़ा अब पर्यावरण, गौरैया गुमनाम।। पृष्ठ ५८
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पौधा रोपें तरु बना, रक्षा करिए मीत
पंछी आ कलरव करें, सुनें मधुर संगीत
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आँगन में तुलसी लगा, बाहर पीपल-नीम।
स्वच्छ वायु मिलती रहे, घर से दूर हकीम।। पृष्ठ ५८
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देख विसंगति आज की, कवि कहता युग-सत्य
नाकाबिल अफसर बनें, काबिल बनते भृत्य
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कौआ काजू चुग रहा, चना-चबेना हंस।
टीका उसे नसीब हो, जो राजा का वंश।। पृष्ठ ६१ / ३६
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मानव बदले आचरण, स्वार्थ साध हो दूर
कवि-मन आहत हो कहे, आँखें रहते सूर
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खेला खाया साथ में, था लँगोटिया यार।
अब दर्शन दुर्लभ हुआ, लेकर गया उधार।। पृष्ठ ६४
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'पर सब कहाँ प्रत्यक्ष हैँ, मीडिया पैना दर्भ पृष्ठ ७०/६१
चौदह बारह कलाएँ, कहते हैं संदर्भ
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अलंकार की छवि-छटा, करे चारुता-वृद्धि
रूपक उपमा यमक से, हो सौंदर्य समृद्धि
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पानी देने में हुई, बेपानी सरकार।
बिन पानी होने लगे, जीव-जंतु लाचार।। पृष्ठ ७९
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चुन-चुन लाए शाख से, माली विविध प्रसून। पृष्ठ ७७
बहु अर्थी है श्लेष ज्यों, मोती मानुस चून
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आँख खुले सब मिल करें, साथ विसंगति दूर
कवि की इतनी चाह है, शीश न बैठे धूर
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अमिधा कवि को प्रिय अधिक, सरस-सहज हो कथ्य
पाठक-श्रोता समझ ले, अर्थ न चूके तथ्य
*
दर्शन दोहों में निहित, सहित लोक आचार
पढ़ सुन समझे जो इन्हें, करे श्रेष्ठ व्यवहार
*
युग विसंगति-चित्र हैं, शब्द-शब्द साकार
जैसे दर्पण में दिखे, सारा सच साकार
*
श्रेष्ठ-ज्येष्ठ श्रीधर लिखें, दोहे आत्म उड़ेल
मिले साथ परमात्म भी,दीप-ज्योति का खेल
४-८-२०१९
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मुक्तक
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किस तरह मोती मिले बिन सीपिका
किस तरह तम से लड़ें बिन दीपिका
हो न शशि त्यागी, गुमेगी चाँदनी
अमावस में दिखे कैसे वीथिका
*
हिंदी कहो, हिंदी पढ़ो, हिंदी लिखो, नित जाल पर
हिंदी- तिलक हँसकर लगाओ, भारती के भाल पर
विश्व वाणी है यही, कल सब कहेंगे सत्य यह
मीडिया-मित्रों कहो 'जय हिन्द-हिंदी' जाल पर
*
हिंदी में हिंदी नहीं तो, सब दुखी हो जाएँगे
बधावा या मर्सिया इंग्लिश में रटकर गाएँगे?
आरती या भजन समझेंगे नहीं जब देवता-
कहो कोंवेंट-प्रेमियों वरदान कैसे पाएँगे?
*
गले मिल, झगड़ा करो स्वीकार है
अधर पर रख अधर सिल, स्वीकार है
छोड़ दें हिंदी किसी भी शर्त पर
है असंभव यही अस्वीकार है
***
नवगीत:
महका-महका
*
महका-महका
मन-मंदिर रख सुगढ़-सलौना
चहका-चहका
आशाओं के मेघ न बरसे
कोशिश तरसे
फटी बिमाई, मैली धोती
निकली घर से
बासन माँजे, कपड़े धोए
काँख-काँखकर
समझ न आए पर-सुख से
हरसे या तरसे
दहका-दहका
बुझा हौसलों का अंगारा
लहका-लहका
एक महल, सौ यहाँ झोपड़ी
कौन बनाए
ऊँच-नीच यह, कहो खोपड़ी
कौन बताए
मेहनत भूखी, चमड़ी सूखी
आँखें चमकें
कहाँ जाएगी मंजिल
सपने हों न पराए
बहका-बहका
सम्हल गया पग, बढ़ा राह पर
ठिठका-ठहका
लख मयंक की छटा अनूठी
सज्जन हरषे.
नेह नर्मदा नहा नवेली
पायस परसे.
नर-नरेंद्र अंतर से अंतर
बिसर हँस रहे.
हास-रास मधुमास न जाए-
घर से, दर से.
दहका-दहका
सूर्य सिंदूरी, उषा-साँझ संग
धधका-दहका...
४-८-२०१८

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गीत:
हक
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खफा होना तुम्हारा हक है, जाना दूर मेरा हक.
न मन मिल पायें तो क्यों बन्धनों को ढोयें हम नाहक.....
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न मैं नाज़ुक कि अपने पग पे आगे बढ़ नहीं सकता.
न तुम बेबस कि जो खुद ही गगन तक चढ़ नहीं सकता.
भले टेढ़ा जमाना हो, रुका है कब कहो चातक.
खफा होना तुम्हारा हक है, जाना दूर मेरा हक.....
*
न दिल कमजोर है इतना कि सच को सह नहीं पाये.
विरह की आग हो कितनी प्रबल यह दह नहीं पाये..
अलग हों रास्ते अपने मगर हों सच के हम वाहक.
खफा होना तुम्हारा हक है, जाना दूर मेरा हक.....
*
जियो तुम सिर उठाकर, कहो- 'गलती को मिटाया है.'
जिऊँ मैं सिर उठाकर कहूँ- 'मस्तक ना झुकाया है.'
उसूलों का करें सौदा कहो क्यों?, राह यह घातक.
खफा होना तुम्हारा हक है, जाना दूर मेरा हक.....
*
भटक जाए, न गम होगा, तलाशेगा 'सलिल' मंजिल.
खलिश किंचित न होगी, मिल ही जायेगा कभी साहिल..
बहुत छोटी सी दुनिया है, मिलेंगे फिर कभी औचक.
खफा होना तुम्हारा हक है, जाना दूर मेरा हक.....
४-८-२०१०
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