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सोमवार, 5 अक्तूबर 2020

एक दोहा

एक दोहा 
लिखा शब्द बिन कर्म से, खुद ही अपना भाग्य
पढ़ी जिंदगी शब्द बिन, लिया नहीं वैराग्य.

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