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गुरुवार, 8 अक्तूबर 2020

सरस्वती-वन्दना' -देवकीनन्दन'शान्त'

 'सरस्वती-वन्दना'

-देवकीनन्दन'शान्त',साहित्यभूषण

* * * *
मां,मुझे गुनगुनाने का वर दे !
मेरी सांसों में संगीत भर दे !!

छन्द को भाव रसखान का दे !
गीत को दर्द इन्सान का दे !!
मेरी ग़ज़लें मुहब्बत भरी हों ;
दें मुझे ध्यान भगवान का दे ,
काव्य को कुछ तो अपना असर दे

सत्य बोलूं लिखूं शब्द स्वर दे !
या न बोलें जो ऐसे अधर दे !!
झूठ कैसा भी हो झूठ ही है ;
झूठ के पंख सच से क़तर दे !!
हौसले से भरी हर डगर दे

राष्ट्र-हित से जुड़ी भावना दे !
विश्व कल्याण की कामना दे !!
धर्म मज़हब समा जाएं जिसमें ;
योग जप-तप पगी साधना दे
जग को सुख-शान्तिआठोंपहर दे

'शान्त'शब्दों को चिंगारियां दे !
जग की पीड़ा को अमराइयां दे!!
कल्पना दे गरुड़ पंख जैसी ;
मेरे अनुभव को गहराइयां दे!!
मुझ पे इतनी कृपा और कर दे

मां मुझे गुनगुनाने का वर दे !
मेरी सांसों में संगीत भर दे !!

*
10/302,Indiranagar, लखनऊ-226016(UP)
9935217841, shantdeokin@gmail.com

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