दोहा सलिला 
*
भूमिपुत्र क्यों सियासत, कर बनते हथियार। 
राजनीति शोषण करे, तनिक न करती प्यार।। 
*
फेंक-जलाएँ फसल मत, दें गरीब को दान। 
कुछ मरते जी सकें तो, होगा पुण्य महान।। 
*
कम लागत हो अधिक यदि, फसल करें कम दाम। 
सीधे घर-घर बेच दें, मंडी का क्या काम?
*
मरने से हल हो नहीं, कभी समस्या मान। 
जी-लड़कर ले न्याय तू, बन सच्चा इंसान।।
*
मत शहरों से मोह कर, स्वर्ग सदृश कर गाँव। 
पौधों को तरु ले बना, खूब मिलेगी छाँव।।
*
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें