मुक्तिका
*
झुका आँखें कहर ढाए
मिला नज़रें फतह पाए
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झुका आँखें कहर ढाए
मिला नज़रें फतह पाए
चलाए तीर जब दिल पर
न कोई दिल ठहर पाए
न कोई दिल ठहर पाए
गहन गंभीर सागर सी
पवन चंचल भी शर्माए
पवन चंचल भी शर्माए
धरा सम धैर्य धारणकर
बदरियों सी बरस जाए
बदरियों सी बरस जाए
करे शुभ भगवती हो यह
अशुभ हो तो कहर ढाए
अशुभ हो तो कहर ढाए
कभी अबला, कभी सबला
बला हर पल में हर गाए
बला हर पल में हर गाए
न दोधारी, नहीं आरी
सुनारी सभी को भाए
***
संजीव
८-३-२०२०
सुनारी सभी को भाए
***
संजीव
८-३-२०२०
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