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बुधवार, 18 मार्च 2020

निमाड़ी दोहा

निमाड़ी दोहा: 
संजीव 'सलिल' 
*
जिनी वाट मंs झाड नी, उनी वांट की छाँव. 
नेह मोह ममता लगन, को नारी छे ठाँव.. 
*
हिंदू मरते हों मरें, नहीं कहीं भी जिक्र।
काँटा चुभे न अन्य को, सबको इसकी फ़िक्र।।
दिव्यनर्मदा.ब्लागस्पाट.कॉम

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