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सोमवार, 30 मार्च 2020

मुक्तिका

मुक्तिका
संजीव 'सलिल'
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कद छोटा परछाईं बड़ी है.
बेहद बेढब आई घड़ी है.
चोर कर रहे चौकीदारी
क्या कह दें रुसवाई बड़ी है.
बीबी बैठी कोष सम्हाले
खाली हाथों माई खड़ी है..
खुद पर खर्च रहे हैं लाखों
भिक्षुक हेतु न पाई पड़ी है..
'सलिल' सांस-सरहद पर चुप्पी
मौत शीश पर आई-अड़ी है..
३०-३-२०१०
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