दोहा पहेली
*
१.
बच्चों को देती मजा, बिन किताब दे ग्यान।
सब विषयों में पैठकर, कहे न कर अभिमान।।
सरल-कठिन रोचक-ललित, चाहे थोड़ी सूझ।
नाम बताना सोचकर, बूझ सको बूझ।।
= पहेली
२.
चश्मा चप्पल छड़ी ले, टॉफी लाते रोज।
चूड़ी पूजा कर उठे, भोग खिलाती खोज।।
झुकी कमर तन शिथिल दें, छाया जैसे झाड़।
'पूँजी से प्यारा अधिक, सूद' कहें कर लाड़।।
= दादा-दादी
३.
गोदी आँचल लोरियाँ, कंधा अँगुली छाँह
कभी न गिरने दें झपट, थाम पकड़कर बाँह।।
गुड़िया सी गुड़िया लड़े, रूठे जाए मान ।
कदम-कदम पर साथ दे, झगड़ छिड़कता जान।।
= माता, पिता, बहिन, भाई
४.
उषा दुपहरी साँझ सँग, कर डेटिंग रोमांस।
रजनी के सँंग रह रहा, लिव इन करता डांस।। घटता-बढ़ता निरंतर, ले-दे सतत उजास।
है प्रतीक सौंदर्य का, मामा सबसे खास।।
= सूरज-चाँद
५.
गिरि-तनया सागर-प्रिया, लहर-भँवर भंडार।
नहर -जननि को कर नमन, नाम बता साभार।। भेदभाव करती नहीं, हरती सब की प्यास।
तापस तट पर तप करें, कृष्ण रचाते रास।।
= नदी
६.
हम सबको दे रहा है, शांति-शौर्य संदेश।
केसरिया बलिदान दे , हरा-भरा हो देश।।
नील चक्र गतिमान रख, उन्नति करे अशेष।
जन गण मन सुन फहरता, करिए गर्व हमेश।।
= तिरंगा
७.
अंधकार को दूर कर, करता रहा उजास।
हिमगिरि -सागर सँग हँसे, होता नहीं उदास।।
रहा पुजारी ज्ञान का, सत्य अहिंसा चाह।
अवतारों को जन्म दे, सबसे पाई वाह।।
= भारत
८.
अनुशासन पर्याय है, शौर्य-पुंज धर धीर।
नित सरहद पर अड़ा है, बन उल्लंघित प्राचीर।। जान हथेली पर लिए, लोहा माने विश्व।
सौ पर भारी एक है , अरि का अरि बलवीर।।
= सैनिक
९.
बार-बार लड़-पिट रहा, किंतु न आता बाज।
केंद्र बना आतंक का, उसको तनिक न लाज।। लिए कटोरा घूमता, ले अल्ला' का नाम।
चाह रहा है हड़पना, कश्मीर का राज।।
= पाकिस्तान
१०.
केसरिया बलिदान की, करता है जयकार।
श्वेत शांति की चाह कर, कहे बढ़ाओ प्यार।।
हरी-भरी धरती रहे, करिए ठोस उपाय।
नील चक्र गतिमान हो, उन्नति का आधार।।
= तिरंगा
११.
व्यक्त करे हर भाग को, गद्य पद्य आगार।
मन के मन से जोड़ती, बिना तार ही तार।।
शब्दाक्षर दीवाल हैं , कथ्य भूमि छत छंद।
कह-सुन लिख-पढ़ जीव हर, करता है व्यवहार।। = भाषा
१२.
ध्वनि अंकित कर पटल पर, रखे सुरक्षित मीत। ताड़पत्र चट्टान या कागज रखना रीत।।
मुद्रित हो पुस्तक बनें, फैले ज्ञान अपार
ध्वन्यांकन संकेत का, नाम बताएं जीत।।
= लिपि
१३.
जगवाणी की राह पर, है जनवाणी आज।
जन गण मन पर कर रही, है सदियों से राज।। मुहावरे लोकोक्तियाँ, छंद व्याकरण सज्ज। तकनीकी सामर्थ्य का, पहन रही है ताज।।
= हिंदी
१४.
कंकर-कंकर में बसे, पर प्रलयंकर नाम।
नेत्र तीसरा खोल दें, होता काम तमाम।।
अवढरदानी मौन हैं, जो चाहे लो माँग।
शंकाओं के शत्रु हैं, विषपायी अभिराम।।
= शिव जी
१५.
सिर पर हिमगिरि ताज, है पग धोता वारीश।
लेने जन्म तरस रहे, यहाँ आप जगदीश।।
कोटि-कोटि जन की जननि, स्वर्गोपम सौंदर्य। जीवनदायी वस्तुओं, का रहता प्राचुर्य।।
= भारत
१६.
अपने धड़ पर धारते, किसी और का शीश।
पर नारी के साथ में, पुजते बनकर ईश।।
रखते दो दो पत्नियाँ, लड्डू खाते खूब।
मात-पिता को पूजते, खुश है सती-सतीश।।
= गणेश जी
१७.
कागज काले कर रही, रह स्याही के साथ।
न्यून मोल अनमोल है, थामे हरदम हाथ।।
व्यक्त करें अनुभूतियाँ, दिल से दिल दे जोड़।
गद्य-पद्य की सहचरी, लेखक इसके नाथ।।
= कलम
१८.
झाँक रहा है आँख में, होकर नाक सवार।
कान खींचता बेहिचक, फिर भी पाता प्यार।। दिखा रहा दुनिया कहे, देख सके तो देख।
राज कर रहा जेब पर, जैसे हो सरकार।।
= चश्मा
१९.
पुस्तक हो या पुस्तिका, है मेरा ही रूप।
नाम किसी का हो मगर, मैं ही सच्चा भूप।।
क्रय-विक्रय होता नहीं, मुझ बिन कहता सत्य।
नोट-वोट हैं पत्र भी, मेरे अपने रूप।।
= कागज
२०.
पुत्री है अपभ्रंश की, स्वर-व्यंजन-रस खान।
भारतेंदु करते रहे, इसका गौरव गान।।
जैसा बोले सुन लिखे, पढ़ती वैसा पाठ।
भारत माँ की लाड़ली, वाणी के हैं ठाठ।।
= हिंदी
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_ विश्व वाणी हिंदी संस्थान
४०१ विजय अपार्टमेंट, नेपियर टाउन
जबलपुर ४८२००१
चलभाष ९४२५२८३२४४।
दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
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गुरुवार, 28 फ़रवरी 2019
दोहा पहेली
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