एक रचना
नामवर
*
लीक से हटकर चला चल
काम कर।
रोकता चाहे जमाना
नाम वर।।
*
जोड़ता जो, वह घटा है
तोड़ता जो, वह जुड़ा है
तना दिखता पर झुका है
पथ न सीधा हर मुड़ा है
श्वास साकी, आस प्याला
जाम भर
रोकता चाहे जमाना
नाम वर
*
जो न जैसा, दिखे वैसा
जो न बदला, वह सड़ा है
महत्तम की चाह मत कर
लघुत्तम सचमुच बड़ा है
कह न मरता कोई किंचित
चाम पर
रोकता चाहे जमाना
नाम वर
*
बात पूरी नहीं हो कह
'जो गलत, वे तोड़ मानक'
क्यों न करता पूर्ण कहकर
'जो सही, मत छोड़ मानक'
बन सिपाही, जान दे दे विहँस सच के
लाम पर
रोकता चाहे जमाना
नाम वर
***
संवस
दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
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बुधवार, 20 फ़रवरी 2019
एक रचना नाम वर
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गीत नाम वर
आचार्य संजीव वर्मा सलिल
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