मुक्तिका:
संजीव
.
गीतों से अनुराग न होता
जीवन कजरी-फाग न होता
संजीव
.
गीतों से अनुराग न होता
जीवन कजरी-फाग न होता
रास आस से कौन रचाता?
मौसम पहने पाग न होता
मौसम पहने पाग न होता
निशा उषा संध्या से मिलता
कैसे सूरज आग न होता?
कैसे सूरज आग न होता?
बाट जोहता प्रिय प्रवास की
मन-मुँडेर पर काग न होता
मन-मुँडेर पर काग न होता
सूनी रहती सदा रसोई
गर पालक का साग न होता
गर पालक का साग न होता
चंदा कहलातीं कैसे तुम
गर निष्ठुरता-दाग न होता?
गर निष्ठुरता-दाग न होता?
गुणा कोशिशों का कर पाते
अगर भाग में भाग न होता
अगर भाग में भाग न होता
नागिन क्वारीं मर जाती गर
बीन सपेरा नाग न होता
बीन सपेरा नाग न होता
'सलिल' न होता तो सच मानो
बाट घाट घर बाग़ न होता
***
बाट घाट घर बाग़ न होता
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