सामयिक द्विपदियाँ और दोहे
संजीव
*
मिलाकर हाथ खासों ने, किया है आम को बाहर
नहीं लेना न देना ख़ास से, हम आम इन्सां हैं
*
इनके पंजे में कमल, उनका भगवा हाथ
आम आदमी देखकर, नत दोनों का माथ
*
'राज्य बनाया है' कहो या 'तोडा है राज्य'
तोड़ रही है सियासत, कैसे हों अविभाज्य?
*
भाग्य विधाता आम है, शोषण करता ख़ास
जो खासों का साथ दे, उसको मानो दास
*
साथ उसी का दो सलिल, जिस पर हो विश्वास
साथ ख़ास के जो रहे, वह पाये संत्रास
*
१८-२-२०१४
संजीव
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मिलाकर हाथ खासों ने, किया है आम को बाहर
नहीं लेना न देना ख़ास से, हम आम इन्सां हैं
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इनके पंजे में कमल, उनका भगवा हाथ
आम आदमी देखकर, नत दोनों का माथ
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'राज्य बनाया है' कहो या 'तोडा है राज्य'
तोड़ रही है सियासत, कैसे हों अविभाज्य?
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भाग्य विधाता आम है, शोषण करता ख़ास
जो खासों का साथ दे, उसको मानो दास
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साथ उसी का दो सलिल, जिस पर हो विश्वास
साथ ख़ास के जो रहे, वह पाये संत्रास
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१८-२-२०१४
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